
Madan rathore on rahul gandhi vote chori allegation: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के 'वोट चोरी' के आरोप पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि जिनकी दादी ने अनैतिक तरीके से चुनाव जीता और चुनाव को न्यायपालिका ने रद्द कर दिया था. आज वही लोग देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाने का दुस्साहस कर रहे हैं राठौड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 11 वर्षों में भारत को वैश्विक स्तर पर सम्मान दिलाया है. भारत की अर्थव्यवस्था को 10वें स्थान से चौथे स्थान तक पहुंचाया और सैन्य ताकत को सशक्त किया. राठौड़ ने पहले आम चुनाव के दौरान का जिक्र करते हुए कहा कि साल 1952 में लोकतंत्र के इतिहास में एक बेहद काला अध्याय लिखा गया. उस समय कांग्रेस पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी ने मिलकर भारत के संविधान निर्माता भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर को उनके लोकसभा क्षेत्र से पराजित करने के लिए सुनियोजित साजिश रची.
वोट रद्द ना होते तो परिणाम कुछ होता- राठौड़
इतना ही नहीं, बाबा साहेब को हराने के लिए लगभग 70 हजार से अधिक मतपत्रों को जानबूझ कर रद्द कर दिया गया. यह कोई साधारण चुनावी हार नहीं थी, बल्कि लोकतंत्र और न्याय की मूल भावना के साथ किया गया विश्वासघात था. सत्ता के नशे में चूर राजनीतिक ताकतों ने उन्हीं के साथ अन्याय कर लोकतांत्रिक मूल्यों का गला घोंट दिया था. डॉ. अंबेडकर महज़ 14 हजार मतों से हार गए थे. अगर वे 70,000 से अधिक वैध वोट रद्द न किए जाते तो इतिहास का परिणाम शायद बिल्कुल अलग होता. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी 90 चुनाव हार चुकी हैं इसलिए संवैधानिक संस्थाओं पर हमला कर रहे हैं.
प्रदेश अध्यक्ष ने इंदिरा गांधी के शासनकाल को याद करते हुए कहा कि उन्होंने चुनाव जीतने के लिए सरकारी मशीनरी का खुलकर दुरुपयोग किया. जब देश की अदालत ने उनके चुनाव को अमान्य ठहराया, तब उन्होंने लोकतंत्र को कुचलते हुए आपातकाल (इमरजेंसी) लागू कर दी. गांधी परिवार की राजनीति सदैव स्वार्थ आधारित रही है, देश और आमजन के विकास से उनका कोई लेना-देना नहीं रहा है.
"इंदिरा-राजीव की परंपरा को आगे बढ़ा रहे राहुल"
राठौड़ ने कहा, "आपातकाल के बाद करारी हार पर इंदिरा गांधी ने मतदाताओं को एक झुंड मूर्खों कहा. वहीं, 1989 में राजीव गांधी ने चुनावों से बैलेट पेपर हटाने की बात कही. अब उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए प्रोपेगेंडा मास्टर राहुल गांधी चुनाव आयोग पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. कांग्रेस का इतिहास साफ़ बताता है कि सत्ता के लिए चुनावी तंत्र से छेड़छाड़ उनकी पुरानी आदत है."
पूछा सवाल- घुसपैठियों के नाम हटाने पर कांग्रेस को आपत्ति क्यों?
मतदाता सूची को लेकर कांग्रेस द्वारा उठाए जा रहे सवालों को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने खारिज किया. उन्होंने कहा कि मतदाता पुनरीक्षण एक नियमित और संवैधानिक प्रक्रिया है. हर वर्ष यह प्रक्रिया होती है, जिसमें नए नाम जोड़े जाते हैं और अनुपयुक्त नाम हटाए जाते हैं. यदि रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों के नाम हटाए गए हैं तो इसमें आपत्ति क्यों? क्या कांग्रेस इन्हें अपना वोट बैंक मानती है?
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है और उस पर प्रश्नचिन्ह लगाना कांग्रेस की पुरानी आदत रही है. जब कांग्रेस सत्ता में होती है तो संस्थाएं सही होती हैं, लेकिन जैसे ही हार होती है तो वे उन्हीं संस्थाओं की कार्यशैली पर सवाल उठाने लगते हैं.
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