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This Article is From May 14, 2025

राजस्थान के बारां जिले में 'कुपोषण' की वापसी, केंद्रीय मंत्रालय ने जारी किए हैरान करने वाले आंकड़े

विशेषज्ञों का कहना है कि अति कुपोषित और कुपोषित बच्चों की सेहत पर नजर रखने के लिए ब्लॉक से लेकर राज्य स्तर तक अलग से निगरानी यूनिट बनाने की आवश्यकता है.

राजस्थान के बारां जिले में 'कुपोषण' की वापसी, केंद्रीय मंत्रालय ने जारी किए हैरान करने वाले आंकड़े
बारां में कुपोषण की वापसी हो गई है.
NDTV Rajasthan

Rajasthan News: केंद्र व राज्य सरकार की ओर से लोगों के स्वास्थ्य देखभाल और इलाज की व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं. भारी भरकम अमला लगाया जा रहा है. बजट भी खूब खर्च किया जा रहा है. इससे लोगों को स्तरीय चिकित्सा सुविधा भी सहजता से मिलने लगी है. आमजन में भी सेहत को लेकर जागरूकता बढ़ी है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल करने वाले चिकित्सा विभाग के जिला अधिकारी राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक सम्मान ले चुके हैं. लेकिन इतना सब होने के बावजूद राजस्थान के बारां (Baran) जिले में कुपोषण (Malnutrition) कम नहीं हो रहा है. 

महिला एवं बाल विकास के आंकड़ों के मुताबिक, जिले में मार्च महीने में 1874 बच्चे कुपोषित मिले हैं.

वहीं, पिछले साल बारां जिले के आदिवासी क्षेत्र शाहाबाद में अगस्त व सितंबर महीने में रितिक सहरिया नाम का बालक अति कुपोषित पाया गया. NDTV राजस्थान ने इस खबर को प्रमुखता से अपने टीवी पर चलाया और वेबसाइट पर प्रकाशित किया था. खबर चलने के बाद क्षेत्र में कुपोषण को लेकर सर्वे करवाया गया, जहां सैकड़ों बच्चे कुपोषण व अति कुपोषित पाए गए. प्रशासन ने जिला स्तर व ब्लॉक स्तर पर MTC वार्डों का संचालन कर उनका इलाज किया.  

महिला व बाल विकास विभाग की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार
वर्षकुपोषितअति कुपोषित
20232363521
20241897608
20251874532 (मार्च तक)

ब्लॉकवार अतिकुपोषित बच्चों का डेटा (मार्च 2025 तक)

  • अन्ता में 12
  • अटरू में 35
  • बारां में 14
  • छबड़ा में 00
  • छीपाबड़ौद में 4
  • किशनगंज में 248
  • शाहाबाद में 219

कुपोषण दूर करने के लिए क्या-क्या किया गया?

आंगनबाड़ी और मां बाड़ी केंद्रों पोषाहार के नाम पर पोषण दिया जा रहा है. इसके अलावा स्कूलों में मिड-डे-मील और दूध, हरी सब्जी समेत पौष्टिक आहार दिया जा रहा है. भंवरगढ़ क्षेत्र में लंबे समय से उच्च गुणवत्ता का पौष्टिक आहार देने के लिए एक निजी निजी संस्था की सेवाएं भी ली जा रही हैं. बच्चों के अलावा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत नियमित रूप से खाद्य सुरक्षा योजना के तहत बड़ी संख्या में परिवारों को खाद्यान्न वितरित किया जा रहा है. इस तरह से पोषण के लिए ध्यान दिया जा रहा है. इतना सब होने के बावजूद कुपोषण प्रभावित आदिवासी सहरिया बाहुल्य क्षेत्र में कुपोषण कम नहीं हो रहा है.

'अब निगरानी यूनिट बनाने की जरूरत ज्यादा है'

विशेषज्ञों का कहना है कि अति कुपोषित और कुपोषित बच्चों की सेहत पर नजर रखने के लिए ब्लॉक से लेकर राज्य स्तर तक अलग से निगरानी यूनिट बनाने की आवश्यकता है. इससे आंगनबाड़ी केन्द्र पर चिन्हित होने वाले बच्चों का डाटा संग्रहित होने के साथ ही प्रत्येक अतिकुपोषित बच्चे को पोषाहार खिलाने और उसके नियमित वजन लेने का चार्ट भी तैयार होगा. प्रत्येक ब्लॉक रिपोर्ट की हर पखवाड़े समीक्षा की जाए. जिला और राज्य स्तर से इसका फॉलोअप लेकर प्रभावी निगरानी की जाए. अतिकुपोषित और कुपोषित की संख्या में कमी वृद्धि होने पर कारणों को चिन्हित किया जाए तथा अलग से प्रोत्साहन राशि का भुगतान भी किया जाए.

बारां जिले में विभिन्न विभाग और संस्थाएं जुटी

बारां जिला नीति आयोग ने महत्वकांक्षी जिलों की लिस्ट में शामिल है. इस वजह से यहां शिक्षा, चिकित्सा, बाल विकास आदि के लिए भारी भरकम बजट भी खर्च किया जा रहा है. विभिन्न राष्ट्रीय संस्थाओं ने शिक्षा, पोषण आदि के क्षेत्र में लंबे समय तक काम किया है. इसके अलावा अरसे से सहरिया क्षेत्र के उत्थान के लिए अलग से सहरिया विकास परियोजना संचालित हैं. लेकिन फिर भी है कि बारां मे कुपोषण का दंश मिटने का नाम नहीं ले रहा है.

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