विज्ञापन

Krishna Janmashtami 2025: जयपुर के इस मंदिर में दोपहर में ही जन्मे श्रीकृष्ण, 500 साल पुरानी परंपरा ने चौंकाया!

Jaipur Radha Damodar Temple: जयपुर का राधा दामोदर मंदिर अपनी इस अनोखी परंपरा के लिए जाना जाता है. जब पूरे देश में रात 12 बजे कृष्ण जन्म होता है, तब यहां दिन में ही सारे उत्सव हो जाते हैं. इस परंपरा के पीछे एक दिलचस्प कहानी है.

Krishna Janmashtami 2025: जयपुर के इस मंदिर में दोपहर में ही जन्मे श्रीकृष्ण, 500 साल पुरानी परंपरा ने चौंकाया!
500 साल पुरानी है इस मंदिर में दोपहर 12 बजे जन्मोत्सव की परम्परा.

Rajasthan News: जन्माष्टमी पर देश-दुनिया में रात 12 बजे कान्हा के जन्म की धूम मचती है, लेकिन जयपुर की गुलाबी नगरी में एक अलग ही नजारा होता है. यहां के ऐतिहासिक राधा दामोदर मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव रात में नहीं, बल्कि दिन में ही मनाया जाता है. यह परंपरा पूरे 500 साल पुरानी है. यहां के ठाकुर जी दोपहर 12 बजे ही जन्म लेते हैं और पूरे विधि-विधान से उनका अभिषेक होता है. इस साल भी ये अनोखी परंपरा निभाई गई, जिसने भक्तों के दिलों में खास जगह बना ली.

'नंद के आनंद भयो' की गूंज

जन्माष्टमी के दिन मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा था. जैसे ही घड़ी की सुई 12 पर पहुंची, मंदिर परिसर 'नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की' के जयकारों से गूंज उठा. बैंड की मधुर धुन बजने लगी और माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो गया. हर चेहरे पर कान्हा के आने की खुशी साफ झलक रही थी. इस मौके पर मंदिर के महंत परिवार ने पूरी तैयारी कर रखी थी. भगवान का पंचामृत से अभिषेक करने के लिए विशेष प्रबंध किए गए थे.

पंचामृत से हुआ बाल गोपाल का अभिषेक

दोपहर 12 बजे शुभ मुहूर्त में बाल स्वरूप श्रीकृष्ण का अभिषेक शुरू हुआ. महंत मलय गोस्वामी ने पूरे विधि-विधान के साथ मंत्रोच्चार किया. इसके बाद दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से बने पंचामृत से भगवान का अभिषेक किया गया. अभिषेक के बाद भगवान का विशेष श्रृंगार किया गया, जिसमें उन्हें मोरपंख, बांसुरी और सुंदर आभूषण पहनाए गए. कान्हा के इस मनमोहक स्वरूप को देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो गया.

Latest and Breaking News on NDTV

Photo Credit: NDTV Reporter

क्यों है दोपहर में जन्मोत्सव की परंपरा?

जयपुर का राधा दामोदर मंदिर अपनी इस अनोखी परंपरा के लिए जाना जाता है. जब पूरे देश में रात 12 बजे कृष्ण जन्म होता है, तब यहां दिन में ही सारे उत्सव हो जाते हैं. इस परंपरा के पीछे एक दिलचस्प कहानी है. मंदिर के महंत बताते हैं कि राधा दामोदर जी भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप हैं. जैसे बच्चों को देर रात तक नहीं जगाया जाता, वैसे ही ठाकुर जी को भी देर रात तक नहीं जगाया जाता. इसलिए दिन में ही उनका अभिषेक कर शाम तक नंदोत्सव मनाया जाता है और रात 12 बजे से पहले ही मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं.

500 साल पुरानी है वृंदावन से जुड़ी कहानी

इस मंदिर की एक और खासियत है इसकी 500 साल पुरानी कहानी. मंदिर के महंत ने बताया कि यहां स्थापित राधा दामोदर जी की मूर्ति को वृंदावन से लाया गया था. उस समय जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह के आग्रह पर इस प्रतिमा को यहां स्थापित किया गया. इस मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है कि श्री गोविंद विग्रह के प्राप्तकर्ता रूप गोस्वामी ने इसका रहस्य उजागर किया और अपने भतीजे जीव गोस्वामी को इसकी सेवा का जिम्मा सौंपा. इस प्रतिमा की स्थापना माघ शुक्ल दशमी संवत 1599 में हुई थी, तभी से यह परंपरा चली आ रही है.

ये भी पढ़ें:- 31 तोपों की गूंज और 897 किलो अभिषेक: जयपुर में जन्माष्टमी की धूम, गोविंद देव जी का पीतांबर श्रृंगार

यह VIDEO भी देखें

Rajasthan.NDTV.in पर राजस्थान की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार, लाइफ़स्टाइल टिप्स हों, या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें, सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close