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Mandala Mahotsav 2025: नाहर नृत्य में दिखा मॉर्डन टेक्नोलॉजी और सांस्कृतिक विरासत का अदभुत संगम, प्रेमचंद बैरवा बने साक्षी

राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के मांडल कस्बे में नाहर नृत्य की शुरुआत मुगल बादशाह शाहजहां के मनोरंजन के लिए हुई थी, जिसे 412 साल बीत जाने के बाद भी निभाया जा रहा है.

Mandala Mahotsav 2025: नाहर नृत्य में दिखा मॉर्डन टेक्नोलॉजी और सांस्कृतिक विरासत का अदभुत संगम, प्रेमचंद बैरवा बने साक्षी
मेवाड़ के मांडल गांव में धूमधाम से मनाया गया मांडल महोत्सव.

Rajasthan News: अपनी परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत के लिए अलग पहचान रखने वाले मेवाड़ के मांडल गांव में इस बार मांडल महोत्सव (Mandala Mahotsav 2025) का आयोजन किया गया. करीब 412 साल से चली आ रही नाहर नृत्य (Nahar Dance) की परंपरा को भी इस आयोजन में चार चांद लग गए. दिनभर रंगों का पर्व रंग तेरस (Rang Teras) मनाया गया और रात को नाहर नृत्य का हजारों लोगों ने लुफ्त उठाया. सरकार की तरफ से महोत्सव में उपमुख्यमंत्री डॉ प्रेमचंद बैरवा (Prem Chand Bairwa) ने शिरकत की. 

नाहर नृत्य का 412वां संस्करण इस बार मांडल महोत्सव के रूप में गुरुवार रात खेल स्टेडियम में हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ. नाहर नृत्य की परंपरा इस बार आधुनिक तकनीक और सांस्कृतिक धरोहर के समागम की साक्षी बनी. हजारों दर्शकों की उपस्थिति में यह कार्यक्रम एक ऐतिहासिक उत्सव में परिवर्तित हो गया. गुलाब की पंखुड़ियां पूरे स्टेडियम में बरसीं तो माहौल उल्लास और रोमांच से भर उठा. यह आयोजन पारंपरिक विरासत को आधुनिक तकनीक से जोड़ने का एक अनूठा उदाहरण बना.

हजारों दर्शकों की उपस्थिति में यह कार्यक्रम एक ऐतिहासिक उत्सव में परिवर्तित हो गया.

हजारों दर्शकों की उपस्थिति में यह कार्यक्रम एक ऐतिहासिक उत्सव में परिवर्तित हो गया.
Photo Credit: NDTV Reporter

वीरता और लोक आस्था का प्रतीक

राजस्थान की वीरगाथाओं और लोकधार्मिक परंपराओं से जुड़े नाहर नृत्य ने कार्यक्रम का आकर्षण बढ़ाया. नृत्य कलाकारों ने अपने शरीर पर रुई लपेटकर विशेष सजावट की और दोनों हाथों में लकड़ियां लेकर नाहर जैसी गर्जना करते हुए नृत्य प्रस्तुत किया. इस नृत्य ने योद्धाओं के शौर्य, आस्था और समुदाय की एकता का जीवंत चित्रण किया. कच्छी घोड़ी नृत्य और अन्य लोकनृत्य की प्रस्तुतियों ने भी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. पीले साफे, सफेद पारंपरिक पोशाक और गले में पुष्प मालाएं पहने कलाकारों ने जब ढोल-नगाड़ों की थाप पर नृत्य किया, तो पूरा वातावरण राजस्थानी संस्कृति की सुगंध से भर गया.

अपने शरीर पर रुई लपेटकर नृत्य करते हुए कलाकार.

अपने शरीर पर रुई लपेटकर नृत्य करते हुए कलाकार.
Photo Credit: NDTV Reporter

बैरवा ने किया सरकार का प्रतिनिधित्व

नहर डाटा का एक नियम है या तो यह भगवान की समक्ष किया जाता है या राज्य के समक्ष अथवा राजा के समक्ष इसलिए इस नृत्य के मौसम में राज्य सरकार की तरफ से उपमुख्यमंत्री डॉ प्रेमचंद बैरवा ने प्रतिनिधित्व किया. कार्यक्रम का शुभारंभ उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया. उन्होंने कहा, 'मांडल का यह ऐतिहासिक नाहर नृत्य न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, बल्कि यह हमारी परंपराओं को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का भी माध्यम है. ऐसे आयोजन हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखते हैं और हमें इनका संरक्षण करना चाहिए.' कार्यक्रम की अध्यक्षता विधायक उदयलाल भड़ाना ने की. 

राज्य सरकार की तरफ से उपमुख्यमंत्री डॉ प्रेमचंद बैरवा ने प्रतिनिधित्व किया.

राज्य सरकार की तरफ से उपमुख्यमंत्री डॉ प्रेमचंद बैरवा ने प्रतिनिधित्व किया.
Photo Credit: X@DrPremBairwa

एक ऐतिहासिक धरोहर

यह महोत्सव केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं है, बल्कि लोक संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी है. राजस्थान की इस अनूठी परंपरा को जीवंत बनाए रखना हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. नाहर नृत्य महोत्सव न केवल राजस्थान की वीर गाथाओं का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे पूर्वजों की संस्कृति, परंपरा और गौरवशाली इतिहास का जीवंत प्रमाण भी है.

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