Rajasthan News: राजस्थान का ऐसा गांव जहां अपनी बेटी देने के लिए अब लोग तैयार नहीं हो रहे हैं. यहां तक की गांव में सगाई-संबंध करने से भी लोग कतराने लगे हैं. युवा पलायन करने को मजबूर हो रहे. बुजर्गों से सामने यह सकंट है कि अकेलापन सताने लगा है. सारा संकट पानी का है. पूरा गांव एक ट्यूबवेल पर निर्भर है. आधा दर्जन हैंडपंप गांव में है लेकिन एक को छोड़ कर सभी नकारा हो चुके है. एक हैंडपंप और ट्यूबवेल के भरोसे चल रही गांव की पानी की आपूर्ति गर्मी बढ़ने के साथ ही गड़बड़ाने लगी है. ट्यूबवेल टीवी सांस फूलने लगी है . हर दो घण्टे में 10 मिनट पानी की आपूर्ति होती है. यह पीड़ा भरे हालात है भीलवाड़ा शहर से 13 किलोमीटर दूर बसे पुराने गांव सालरा की.
पानी के लिए लेनी पड़ती छुट्टी
सालरा गांव औधोगिक नगरी के नगर परिषद का एक वार्ड है. शहरी क्षेत्र से सटा हुआ सालरा गांव है मगर हालात किसी दूरदराज के गांव से भी बदतर है. गांव में वैसे तो सभी तरह की मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. मगर गांव में सुबह उठने के साथ ही पानी के इंतजाम को लेकर शुरू होने वाली जद्दोजहद दिन भर जारी रहती है. पानी के बंदोबस्त में गांव बड़े बुजुर्ग लगे रहते है. 5 किलोमीटर दूर सिनन्दरी के बालाजी, कीरखेड़ा और तस्वारिया गांव से ग्रामीणों को पानी लाना पड़ रहा है. जनजीवन इस कदर प्रभावित है कि पानी के इंतजाम में लोगों को कामकाज की छुट्टी तक रखनी पड़ती है तब जाकर दो दिन का पानी भरा इकठ्ठा हो पाता है.
शादी नहीं हो रही पलायन को मजबूर
गांव के बुजुर्ग बद्रीलाल गाडरी का कहना है कि पानी की तकलीफ बहुत बड़ी हो चुकी है. लड़कों को काम की छुट्टी रखकर पानी के इंतजाम में लगना पड़ता है. सांगानेर से पानी लाना पड़ता है गाड़ी घोड़े पर पानी नहीं ले तो शाम को प्यास करने को मजबूर होना पड़ता है. हालात यह है कि यंहा की जमीन बेच कर बाहर जाने को मजबूर हो रहे है. मेरा बच्चा भी छोड़ गया है मुझको, भीलवाड़ा रहने लग गया है. विवाहिता अनुदेवी वैष्णव का कहना है कि 5 साल से पानी की बहुत समस्या चल रही है. दूसरे गांव के लोग हमारे गांव में बेटी की शादी नही करना चाहते है. वो लोग कहते हैं तुम्हारे गांव में पानी की व्यवस्था नहीं है तुम ही दुख पा रहे हो तो हमारी बेटियां भी दुख पाएगी. इसलिए वह लोग हमारे बेटों के साथ अपनी बेटियों की शादी नहीं कर रहे हैं.
85 साल की बुजुर्ग धापू देवी ने कहा कि पानी के कनेक्शन के लिए उन्होंने ₹5 हजार दिए कनेक्शन तो हो गए. बिल् तो हर महीने आ रहा है नलों में पानी नही आ रहा है. जब तक टंकी का निर्माण नहीं होगा साला गांव की पानी की समस्या का समाधान नहीं होगा.
युवक गोपाल सेन का कहना है कि गांव में पानी का खासा संकट है. हर बार नेता जो भी जीत के जाता है वादा करके जाता है मगर वापस आता नहीं है. अभी हाल ही में विधानसभा चुनाव में भी विधायक बनने से पहले भीलवाड़ा विधायक अशोक कोठारी ने पानी समस्या समाधान का वादा किया था. मंदिर पर सौगंध गई थी चुनाव जीतते ही समस्या का समाधान करेंगे. चुनाव के बाद अभी तक एक भी बार आ कर गांव के हालात नहीं देखे हैं.
गांव के प्रकाश गाडरी ने बताया कि पानी के इंतजाम के लिए हम को काम की छुट्टी रखनी पड़ती है. तब जाकर दो दिन का पानी हम इकट्ठा कर पाते हैं. मोटरसाइकिल पर 5 किलोमीटर दूर से ड्रम में पानी लाकर जमा करते हैं. पाइपलाइन तो है मगर गांव में पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. एमएलए ने चुनाव में वादा किया था. मगर चुनाव के बाद अभी तक एक भी बार गांव में एमएलए नहीं आए हैं.
बुजुर्ग बद्रीलाल जाट ने कहा कि गांव में पानी की समस्या के कारण अब हमें हमारे बच्चों की शादी लिए कोई बेटी नहीं दे रहे हैं. गांव में पाइपलाइन है कनेक्शन लोगों ने ले रखे हैं. नल का बिल तो आ रहा है मगर पानी नहीं मिल रहा है.
गांव की बुजुर्ग महिला एजी बाई ने कहा कि पांच घरों को मिलकर पानी का टैंकर मंगाना पड़ता है. टैंकर का खारा पानी 5 दिन चलता है जिससे पशुओं की प्यास बुझाते है. बच्चे कुंवारे ही रह जाएंगे. गाडरी पानी तकलीफ को देख बेटी नहीं दे रहे है.
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