Marwar Mathania Mirch: लंबाई 6-7 इंच, तीखापन ऐसा कि दिमाग झन्ना जाए; जोधपुर के मथानिया का लाल मिर्च क्यों है इतना खास?

Marwar Mathania Mirch: राजस्थान के जोधपुर जिले का मथानिया मिर्च पूरी दुनिया में मशहूर है. इस लाल मिर्च की सप्लाई भारत ही नहीं विदेशों में भी होती है. जोधपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर स्थित मथानिया और आस-पास के गांवों में इसकी बड़े पैमाने पर खेती होती है.

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Jodhpur Mathania Red Chilli: जमीन पर बिछी लाल मिर्च की चादर.

Jodhpur Mathania Red Chilli: जमीन पर बिछी लाल मिर्च की चादर... ऊपर दिख रही यह तस्वीर राजस्थान के जोधपुर जिले के मथानिया गांव की है. मथानिया लाल मिर्च (Mathania Mirch) पूरी दुनिया में मशहूर है. 6-7 इंच लंबाई वाले मथानिया मिर्च का तीखापन इतना तेज होता है कि खाते ही दिमाग झन्ना जाए. लेकिन संतुलित मात्रा में किसी भी सब्जी में पड़ते ही यह सब्जी के स्वाद को और बढ़ा देता है. ऐसे में पूरी दुनिया में इसकी डिमांड है. इस समय जोधपुर (Jodhpur) के मथानिया गांव के मिर्च उत्पादक किसान अपनी उपज को तैयार करने में जुटे हैं. मथानिया सहित आस-पास के इलाकों में खेतों के बीच बड़े-बड़े खलिहान बनाए गए हैं. जहां आस-पास के किसान लाल मिर्च को सुखा रहे हैं.  

किसानों के चेहरे पर रौनक ला रही मथानिया का लाल मिर्च

स्थानीय लोग बताते हैं कि बीते कुछ साल में मथानिया की लाल मिर्च अपना अस्तित्व खो रही थी. लेकिन इस बार मथानिया की लाल मिर्च किसानों के चेहरे पर न सिर्फ रौनक ला रही है . फिर एक बार मथानिया के हरे बागान वाले खेत लाल मिर्च की चादर से खिले हुए नजर आ रहे हैं. 

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खलिहान में लाल मिर्च को सुखाती महिला.

प्राकृतिक जैविक खेती द्वारा होती है तैयार, पौष्टिकता भी भरपूर

विश्व प्रसिद्ध मथानिया की लाल मिर्च न सिर्फ खाने के जायके को बढ़ाती है बल्कि रंग भी बेजोड़ लाती है. मथानिया के लाल मिर्च की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह लाल मिर्च रासायनिक खेती के बजाय पूर्ण रूप से प्राकृतिक जैविक खेती के द्वारा ही तैयार होती है. जो स्वास्थ्य के नजरिए बेहतर मानी जाती है. मथानिया का लाल मिर्च उच्च गुणवत्ता और पौष्टिकता से भी भरपूर होता है. 

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मथानिया लाल मिर्च की लंबाई 6 से 7 इंच तक होती है. इन दिनों मथानिया के अधिकांश खेतों में लाल मिर्च की लाल चादर लालिमा नीले आकाश के नीचे प्राकृतिक सौंदर्य का भी अहसास भी करा रही है. 

खेतों में सुखाने के बाद मंडी में भेजते हैं किसान

इस बार अधिक बारिश के चलते मिर्च की पैदावार कुछ घटी है, लेकिन बावजूद किसान अच्छी गुणवत्ता की मिर्च तैयार होने से काफी खुश नजर आ रहे हैं. मथानिया की इस लाल मिर्च की सीडिंग से लेकर इसकी हार्वेस्टिंग के बाद इसे खेतों में ही सुखाया जाता है. उसके बाद इसे मंडी में बिक्री के लिए भेजा जाता है.

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मथानिया लाल मिर्च के बारे में जानकारी देते किसान.

किसानों को भी इस बार मथानिया की इस लाल मिर्च का बाजार में अच्छा मुनाफा भी मिल रहा है. जहां हर एक खेत में लगभग 30 से 40 टन लाल मिर्च की पैदावार हुई है जिस की मंडी में भी इसके अच्छे भाव किसानों को मिल रहे हैं. 

पीएम मोदी भी चख चुके हैं मथानिया लाल मिर्च का स्वाद

खाने के जायके को बढ़ाने के लिए मथानिया की इस लाल मिर्च की मार्केट में भी खासी डिमांड है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मथानिया की इस लाल मिर्च का जायका भी चख चुके हैं. मथानिया के आसपास के बालरवा व तिंवरी गांव के भी अधिकांश किसान इन दिनों इन लाल मिर्च की पैदावार में जुटे है.

मथानिया लाल मिर्च के बारे में जानकारी देते किसान.

मथानिया पहुंच एनडीटीवी ने किसानों से की बात

एनडीटीवी की टीम ने जोधपुर से सटे मथानिया गांव में पहुंचकर विश्व प्रसिद्ध मथानिया की लाल मिर्च को तैयार करने वाले किसानों से भी खास बातचीत की. किसानों ने बताया कि इस बार जहां लाल मिर्च की अच्छी पैदावार हुई है और करीब एक बीघा में 40-50 मण मिर्च की पैदावार हुई है.  

किसानों ने बताया कि इस बार इस लाल मिर्च की बुवाई गत कुछ वर्षों की तुलना में कम हुई है. फिर भी अच्छी उपज से लोग खुश है. 

6-7 इंच तक होती है लंबाई

इस लाल मिर्च की विशेषता है कि अन्य लाल मिर्च की तुलना में इसका स्वाद काफी बेहतर होता है. सामान्य लाल मिर्च की तुलना में इसकी लंबाई 6 से 7 इंच तक होती है. अपनी गुणवत्ता और स्वाद के कारण ही यह विश्व में अपनी एक अलग पहचान रखती है. लेकिन इस वर्ष हर साल की तुलना में करीब 40 प्रतिशत इसकी पैदावार की है. 

खलिहान में लाल मिर्च के ढेर.

सावन से पहले बुआई, दिसंबर-जनवरी में हार्वेस्टिंग, फरवरी में सुखाई

मथानिया लाल मिर्च की बुआई सावन मास से पहले की जाती है. दिसंबर-जनवरी के समय इसकी हार्वेस्टिंग की जाती है. उसके बाद इसको खेतों में सुखाया जाता है. सूखने के बाद इनको अलग-अलग कैटेगरी के आधार पर बांटा जाता है. फिर कैटेगरी के अनुसार यह मंडी में बिकने के लिए जाती है. 

कंर संगरी बनाने में भी होता है इस्तेमाल

किसानों ने बताया कि पहले लाल मिर्च की डिमांड अधिक थी और मुनाफा भी अच्छा मिलता था. लेकिन अब मुनाफा पहले की तरह नहीं मिलता. अधिक बारिश होने पर फसल खराब होने की आशंका भी बनी रहती है. मथानिया का लाल मिर्च अपनी तेज तीखेपन के लिए जाना जाता है. यह भोजन में विशिष्ट स्वाद और रंग लाता है. इसका उपयोग लाल मास (लाल मांस) और केर संगरी जैसे प्रसिद्ध राजस्थानी व्यंजन तैयार करने में किया जाता है. 

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