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NDTV Exclusive: विदेश में नौकरी के चक्कर में बन गया 'साइबर गुलाम', बंदूक की नोंक पर 18 घंटे काम कराया, खाना तक नहीं मिला

म्यांमा-थाईलैंड बॉर्डर से भारत सरकार ने जिन 283 लोगों का रेस्क्यू किया है, उनमें से एक शख्स ने NDTV राजस्थान के साथ खास बातचीत की है, जिसमें उसने विदेश के नौकरी के बहाने हो रहे फ्रॉड का खुलासा किया है.

NDTV Exclusive: विदेश में नौकरी के चक्कर में बन गया 'साइबर गुलाम', बंदूक की नोंक पर 18 घंटे काम कराया, खाना तक नहीं मिला
डीडवाना के पीड़ित शख्स ने एनडीटीवी राजस्थान को दिया इंटरव्यू.

Rajasthan News: क्या आप भी ज्यादा पैसा कमाने के लिए विदेश जाकर नौकरी करने की प्लानिंग कर रहे हैं? अगर हां, तो यह खबर आपके होश उड़ा देगी. इंडिया में एक ऐसा ग्रुप एक्टिव है तो भारतीय युवाओं को विदेश में बड़ी सैलरी पर नौकरी दिलाने के बहाने 'साइबर गुलाम' बना देता है. विदेश पहुंचने के बाद उन युवकों से 18 घंटे काम कराया जाता है. 24 घंटे कड़ी सुरक्षा में रखा जाता है. कहीं बाहर जाने की इजाजत तक नहीं होती है. अगर काम न करें तो यातनाएं भी दी जाती हैं. 10 मार्च को भारतीय वायुसेना ने ऐसे ही 540 इंडियन्स का म्यांमा-थाईलैंड बॉर्डर से रेस्क्यू किया है. इनमें से 31 पीड़ित राजस्थान के रहने वाले हैं. इनमें से एक पीड़ित से NDTV राजस्थान ने खास बातचीत की है, जिसमें उन्होंने चौंका देने वाले खुलासे किए हैं.

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'IT कंपनी का जॉब ऑफर देकर विदेश बुलाया'

पहचान का खुलासा न करने की शर्त पर डीडवाना के पीड़ित ने कहा, 'मुझे थाईलैंड की एक आईटी कंपनी में कस्टमर सर्विस की जॉब का ऑफर देकर विदेश भेजा गया था. वहां पहुंचने के बाद मुझे बताया गया कि कंपनी को म्यामां बॉर्डर के पास शिफ्ट कर दिया गया है. इसके बाद मुझे बॉर्डर क्रॉस करवाकर म्यांमा भेज दिया गया. म्यांमा में जंगल के बीच बनी एक बहुमंजिला इमारत में पहुंचते ही मुझे कैद कर लिया गया. मेरा फोन और पासपोर्ट छीन लिया गया.'

'जंगलों के बीच रखा गया, जबरन ठगी कराई, मांस खिलाया'

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पीड़ित ने आगे कहा, 'इस इमारत को उन्होंने आईटी पार्क बताया था. यहीं से बड़े-बड़े गैंगस्टर के स्कैम सेंटर चलते हैं. चारों ओर आर्मी तैनात रहती थी, जो किसी को भी बाहर नहीं निकलने देती थी. यहां मुझे 70 से 80 हजार रुपये महीने की सैलरी और 7 लाख रुपये तक के इन्सेन्टिव का लालच दिया गया. इसके बाद जबरन साइबर ठगी की ट्रेनिंग शुरू कर दी गई. मुझसे साइबर फ्रॉड करवाया गया. हर महीने 87 लाख रुपये की ठगी का टारगेट होता था. अगर टारगेट पूरा नहीं हुआ तो मारा-पीटा जाता था. कई बार इलेक्ट्रिक शॉक तक दिए गए. लगातार 18-18 घंटे तक काम कराते थे. जबरन मांस खिलाया जाता था. बात नहीं मानने पर मेंढक की तरह उछने की सजा दी जाती थी. कड़ी धूप में बिना हिले घंटों खड़ा भी रखा जाता था.'

फेसबुक के जरिए अमेरिकी युवकों को करते थे टारगेट

एक दूसरे पीड़ित ने बताया, 'मेरा एजेंट से टेलीग्राम पर संपर्क हुआ था. उसने मेरा इंटरव्यू कराया, जिसमें मेरा सिलेक्शन हो गया. इसके बाद मैं जयपुर से मुंबई और फिर बैंकॉक पहुंच गया. एयरपोर्ट पर एक चाइनीज व्यक्ति मुझे कार से लेने आया. वहां से मुझे आईटी पार्क ले गया.वहां से साढ़े चार महीने बाद इंडिया वापस आया हूं. इन 4 महीनों में मुझसे फेसबुक पर चैटिंग के जरिए अमेरिका में रहने वाले लोगों को टारगेट करवा गया. इजिप्ट में हमें पहले पेटेंट करना पड़ता था कि हम एक फीमेल बात कर रहे हैं. उनसे उनका नाम और पता पूछना जरूरी होता था. इसके बाद कॉल फॉरवर्ड किया जाता था, जिसके आगे का प्रोसेस चाइनीज व्यक्तियों की टीम करती थी.'

भारतीय दूतावास को ईमेल पर बताई थी अपनी परेशानी 

तीसरे पीड़ित ने NDTV राजस्थान को बताया, 'मैं 5 फरवरी 2025 को डीडवाना से विदेश में नौकरी करने के लिए रवाना हुआ था. फ्लाइट में बैठकर मैं बैंकॉक पहुंचा. एयरपोर्ट पर उन्होंने गाड़ी भेजी. जहां से मुझे एक जगह ले जाया गया और पूरा दिन रेस्ट करने दिया गया. अगले दिन उन्होंने कंपनी ट्रांसफर की बात कहकर थाईलैंड ले गए. 7 फरवरी को मुझसे जबरन बॉर्डर क्रॉस करवाया गया. वहां जाकर पहाड़ों के बीच में कंपाउंड बने हुए थे. थ्री लेयर की सिक्योरिटी थी. कोई उनकी मर्जी के बिना बाहर नहीं निकल सकता था. वहां मेरी 1 महीने तक मेरी ट्रेनिंग चली. इसके बाद टारगेट देकर हमसे ठगी करवाई गई. हालांकि मुझे यह यातनाएं नहीं झेलनी पड़ी. मैंने वहां पहुंचते ही भारतीय दूतावास को मेल पर अपनी परेशानी बता दी. उनके पास ऐसे कई मेल पहले भी गए थे. इसके बाद भारत सरकार ने हमें वहां से रेस्क्यू करवा लिया. 14 तारीख को मेरा रेस्क्यू हो गया था. वहां 25 दिन हमें डिटेल्शिप में रखा गया. इसके बाद हमें भारत लाया गया.'

गुजरात में रहने वाले हितेश ने भेजा था विदेश

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राजस्थान के इन युवकों को गुजरात के हितेश नाम के शख्स ने जॉब ऑफर दिया था. उसने ही थाईलैंड की टिकट बुक करवाई थी, और युवकों को सीमा पार कराकर म्यांमा में ठगों के हवाले कर दिया था. अब हितेश खुद म्यांमार में छिपा हुआ है. उसकी तलाश की जा रही है. एसपी शांतनु कुमार के मुताबिक, म्यांमार के जंगलों में 'IT पार्क' नाम से साइबर ठगी के कई सेंटर चल रहे हैं. यहां भारत, चीन और पाकिस्तान के युवाओं को साइबर ठगी का गुलाम बनाया जाता है.

एसपी शांतनु ने इस धोखाधड़ी पर क्या कहा?

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एसपी शांतनु ने बताया, 'हाल ही में थाईलैंड-म्यांमा बॉर्डर से इंटरपोल के साथ संपर्क करके MHA और MEA ने 540 भारतीयों को वापस अपने देश लाने का काम किया है. इनमें से ज्यादातर लोगों को आईटी सेक्टर में, होटल इंडस्ट्री में, रेस्टोरेंट व्यवसाय में नौकरी करने के नाम पर कुछ एजेंट विदेश गए थे. जब ये लोग वहां पहुंचे तो इनके पासपोर्ट व मोबाइल छिनकर बंधन बना लिया गया था. इनसे जबरन साइबर अपराध कराया जा रहा था. म्यांमा-थाईलैंड बॉर्डर पर यह काम बड़े लेवल पर चल रहा है. लेकिन अब इस पर इंटरपोल के साथ-साथ सभी संबंधित लोगों की नजर है. वहां कॉफी जॉइंट ऑपरेशन्स भी किए गए हैं. ऐसे ही एक जॉइंट ऑपरेशन के तहत 540 भारतीय नागरिकों को रेस्क्यू किया गया है. इनमें से 31 राजस्थान के रहने वाले हैं.

पढ़े-लिखे युवाओं के लिए यहां पर रोजगार की कमी नहीं है. लेकिन युवा ज्यादा सैलरी के लालच में इस स्कैम में फंस जाते हैं. युवाओं को इस धोखाधड़ी का शिकार होने से बचाने के लिए हमने नवंबर में एक एडवाइजरी भी जारी की है. इसमें हमने बकायदा MEA के लिंक शेयर करे थे, जिसमें रजिस्ट्रड रोजगार एजेंट की पूरी लिस्ट है. अगर युवा उनके जरिए विदेश में नौकरी करने जाते हैं तो वे यकीनन किसी धोखाधड़ी का शिकार नहीं होंगे. 

पुलिस ने सभी युवाओं को उनके परिजनों को सौंपा

राजस्थान के जिन युवाओं को विदेश से वापस लाया गया है वे डीडवाना, झुंझुनू, सिरोही, कोटा, हनुमानगढ़, चूरू, जोधपुर और जयपुर के रहने वाले थे. ये सभी मध्यमवर्गीय और किसान परिवारों से आते हैं, जिन्होंने अपने बच्चों को अच्छी जिंदगी देने के लिए कर्ज लेकर विदेश भेजा था. अब भी उत्तर प्रदेश के 31 और गुजरात के 15 युवक म्यांमार के ठगों की कैद में हैं. राजस्थान पुलिस ने इन युवाओं का मेडिकल चेकअप कराया और परिजनों के हवाले कर दिया. पुलिस ने इनसे अपील की है कि अब वे इस ठगी के जाल से दूर रहें और दोबारा ऐसी गलती न करें. 

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