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'पक्की सड़क बनाओ, वरना वोट नहीं देंगे', राजस्थान के इस गांव ने दिया पंचायत चुनाव बहिष्कार का अल्टीमेटम

Rajasthan Panchayat Election 2025: भरतपुर के अजान बांध गांव के लोगों ने सड़क नहीं बनने पर आने वाले पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है. 79 सालों से पक्की सड़क की मांग कर रहे ग्रामीणों ने अब जनप्रतिनिधियों को सीधी चुनौती दी है.

'पक्की सड़क बनाओ, वरना वोट नहीं देंगे', राजस्थान के इस गांव ने दिया पंचायत चुनाव बहिष्कार का अल्टीमेटम
भरतपुर का अजान बांध गांव: 79 साल बाद भी कच्ची सड़क, अब चुनाव बहिष्कार की तैयारी.

Rajasthan News: देश में जहां डिजिटल इंडिया और विकास की बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं, वहीं कई इलाके ऐसे भी हैं, जहां आज भी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं पहुंची हैं. ऐसा ही एक गांव है राजस्थान के भरतपुर जिले में, जिसने अब अपनी मांगों को मनवाने के लिए एक बड़ा हथियार उठाया है: मतदान बहिष्कार. भरतपुर जिले के कल्याणपुर पंचायत के अंतर्गत आने वाले अजान बांध गांव के लोगों ने साफ चेतावनी दी है कि अगर आने वाले ग्राम पंचायत चुनावों से पहले उनके गांव में पक्की सड़क नहीं बनी, तो वे चुनावों में वोट नहीं डालेंगे.

सिर्फ 2 KM की है सड़क

आजादी को 79 साल बीत चुके हैं, लेकिन इस गांव के लगभग 500 लोग आज भी एक पक्की सड़क के लिए संघर्ष कर रहे हैं. कल्याणपुर गांव से अजान बांध तक सिर्फ दो किलोमीटर की दूरी है, लेकिन यही कच्चा रास्ता ग्रामीणों के लिए सालों से मुसीबत बना हुआ है. हल्की-सी भी बारिश होते ही यह रास्ता कीचड़ से भर जाता है. हालत इतनी खराब हो जाती है कि लोगों को पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है, गाड़ियों का तो सवाल ही नहीं उठता.

कीचड़ में लिपटी जिंदगी

अजान बांध गांव के लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी इसी कीचड़ और धूल के बीच गुजरती है. सबसे ज्यादा परेशानी स्कूल जाने वाले बच्चों को होती है. उन्हें रोज इसी रास्ते से होकर स्कूल जाना पड़ता है, जिससे उनके कपड़े और जूते खराब हो जाते हैं. कई बार तो वे फिसलकर गिर भी जाते हैं, जिससे उन्हें चोट लगने का खतरा भी बना रहता है. ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की अनदेखी की वजह से उनके बच्चों का भविष्य भी प्रभावित हो रहा है.

'रिश्तेदार आने से कतराते हैं'

ग्रामीणों ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति अचानक बीमार हो जाए, तो उसे अस्पताल तक ले जाना एक बड़ा जोखिम भरा काम बन जाता है. गर्भवती महिलाओं को तो और भी ज्यादा दिक्कत होती है. कई बार तो अस्पताल पहुंचने में देरी होने से डिलीवरी रास्ते में ही हो जाती है, जिससे मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा हो सकता है. इसी तरह रिश्तेदार भी इस गांव में आने से कतराते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि रास्ते की हालत कितनी खराब है.

चुनावों में वादे, चुनाव बाद गुमनाम

ग्रामीणों का आरोप है कि हर चुनाव में नेता उनके पास हाथ जोड़कर वोट मांगने आते हैं और पक्की सड़क बनाने का वादा करते हैं. लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद कोई भी जनप्रतिनिधि गांव की तरफ पलटकर भी नहीं देखता. गांव के एक निवासी रतन सिंह ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा, 'हम हर बार नेताओं के झूठे वादों पर भरोसा कर लेते हैं, लेकिन विकास के नाम पर हमें सिर्फ निराशा मिलती है.'

'सड़क नहीं तो वोट नहीं' का नारा

ग्रामीणों का यह गुस्सा अब चरम पर है. उन्होंने तय कर लिया है कि इस बार वे सिर्फ आश्वासन से काम नहीं चलने देंगे. उनका एक ही नारा है - 'सड़क नहीं तो वोट नहीं'. अजान बांध गांव के लोगों ने अपनी बात विधायक, जिला प्रशासन और स्थानीय सरपंच तक पहुंचाई है, लेकिन उनकी शिकायतें अनसुनी रह गईं. अब उनका यह अल्टीमेटम प्रशासन के लिए एक चुनौती है.

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