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This Article is From Mar 24, 2024

Holi 2024:राजस्थान में होली पर यहां होती है 400 सालों से चली आ रही है 'गैर' की परंपरा, 'ब्राजील के कार्निवल' से होती है तुलना

यह गैर पूरे नगर का भृमण करते हुए गुजरती है, तो शहर के लोग इसका स्वागत करते हैं. माली समाज में यह अनूठी परम्परा सैंकड़ों सालों से चली आ रही है. इस तरह की गैर भारत भर में और कहीं नहीं निकाली जाती. कुछ लोग इसकी तुलना ब्राजिल के कार्निवाल से भी करते है.

Holi 2024:राजस्थान में होली पर यहां होती है 400 सालों से चली आ रही है 'गैर' की परंपरा, 'ब्राजील के कार्निवल' से होती है तुलना
स्वांग रच कर लोगों का मनोरंजन करते हैं

Didwana News: भारत में होली जगह-जगह अलग अलग तरह से मनायी जाती है. होली से जुड़ी अनेक परंपराएं भी है, मगर डीडवाना में माली समाज कि और से निकाली जानी वाली परम्परागत "होली की गैर" देश की सबसे अनूठी गैर है. यहां के लोगों ने सदियों से जारी परम्पराओं को न केवल जिन्दा रखा है. बल्कि इस परम्परा से शहर को विशिष्ट पहचान भी दिलवाई है. पूरे राजस्थान में यह गैर अपनी तरह की सबसे अलग है, क्योंकि यह परम्परा केवल डीडवाना में ही निभाई जाती है. 

यहां आपको भगवान राम ओर लक्ष्मण नजर आएंगे तो लंकापति रावण भी दिखाई देंगे, कहीं आपको भगवाधारी नजर आएंगे, तो कहीं भिन्न भिन्न प्रकार की वेशभूषा पहनकर स्वांग रचते हुए कलाकार दिखाई देंगे. आपको राजस्थानी परंपरा से सराबोर लोक नृत्य करते हुए कलाकार दिखाई देंगे, तो कहीं फकीर और मलंग भी नजर आएंगे. यह सब आपको एक ही जगह पर, एक साथ, केवल 1 दिन के लिए दिखाई देंगे, क्योंकि यह मौका है होली के स्पेशल इवेंट यानी माली समाज की गैर का.

स्वांग रच कर लोगों का मनोरंजन करते हैं

दरअसल डीडवाना में माली समाज की गैर पूरे भारत की सबसे खास परंपरा है. इस परंपरा के तहत माली समाज के 12 बासों की ओर से पूरे डीडवाना शहर में गैर निकाली जाती है, जिसमें माली समाज के लोग अलग-अलग तरह के कॉस्टयूम पहनकर और स्वांग रच कर लोगों का मनोरंजन करते हैं. पूरे राजस्थान में यह गैर अपनी तरह की सबसे अलग है ओर यह परम्परा केवल डीडवाना में ही निभाई जाती है.

आपको बता दें कि डीडवाना में आज भी होली केवल त्यौहार नहीं बल्कि जुनून बनी हुई है. होली पर डीडवाना के माली समाज के 12 बासों की ओर से धूलण्डी के दिन निकाली जाने वाली यह गैर इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है, जहां हजारों लोग एक साथ इकठ्ठा होकर होली खेलते हैं और नए-नए स्वांग रचकर ओर अलग अलग वेशभूषा पहनकर लोगों का मनोरंजन करते हैं. इसके लिए माली समाज के लोग अलग अलग तरह के कॉस्ट्यूम ओर स्वांग धरकर गैर में शामिल होते हैं.

पूरे नगर में भृमण करती है 'गैर' 

यह गैर पूरे नगर का भृमण करते हुए गुजरती है, तो शहर के लोग इसका स्वागत करते हैं. माली समाज में यह अनूठी परम्परा सैंकड़ों सालों से चली आ रही है. इस तरह की गैर भारत भर में और कहीं नहीं निकाली जाती. कुछ लोग इसकी तुलना राजस्थान में होली पर यहां होती है 400 सालों से चली आ रही है 'गैर' की परंपरा, 'ब्राजील का कार्निवल' से होती है तुलना से भी करते है. लेकिन डीडवाना कि यह गैर इससे अलग और हटकर है, क्योकिं इसमें भारतीय संस्कृति का सम्मान रखा जाता है. इसमें फूहड़ता ना होकर भारतीय संस्कृति की झलक मिलती है.

इस गैर का अन्तिम पड़ाव आडकाबास में होता है, जहां श्रेष्ठ तीन गैरों को नगर परिषद द्वारा पुरस्कृत किया जाता है. सालों से चली आ रही इस परम्परा को अगर सरकार सही तरीके से प्रोत्साहित करे तो शायद माली समाज की यह गैर पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन सकती है.

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