राजस्थान में वन स्टेट वन इलेक्शन की कवायद तेज, 49 शहरी निकायों में जल्द हो सकती है प्रशासक की नियुक्ति

प्रदेश की 49 निकायों में 25 नवंबर को कार्यकाल खत्म होना है, जबकि जयपुर, कोटा और जोधपुर सहित कई निकायों का कार्यकाल अगले साल नवंबर में समाप्त होगा.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins

One State One Election: राजस्थान में वन स्टेट वन इलेक्शन की कवायद तेज हो गई. इस दिशा में भजनलाल सरकार जल्द ही फैसला ले सकती है. बताया जा रहा है कि 49 शहरी निकायों में जल्द ही प्रशासक की नियुक्ति की जा सकती है. 25 नवंबर को ही 49 निकायों में कार्यकाल खत्म होना है. इसके बाद अगले साल पंचायत चुनाव के साथ इलेक्शन करवाने के लिए इन निकायों में प्रशासक लगाने होंगे. यूडीएच विभाग इसको लेकर विधि विभाग को प्रस्ताव भी भेज चुका है.

अध्यादेश के जरिए फैसले पर विचार

चर्चा ये भी है कि राजस्थान सरकार अध्यादेश के जरिए वन स्टेट वन इलेक्शन पर फैसला कर सकती है. बता दें कि यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा कई बार कह चुके हैं कि राजस्थान में हर हाल में वन स्टेट वन इलेक्शन लागू किया जाएगा. राजस्थान सरकार की मंशा प्रदेश में 291 निकाय, 7 हजार पंचायतों में एक साथ चुनाव करवाने की है. इसके अलावा सितंबर महीने में चर्चा थी कि सरकार इसके लिए कैबिनेट सब कमेटी बनाएगी. 

जो एक साथ चुनाव में आने वाली बाधाओं का अध्ययन करेगी, कानूनी बाधाओं को दूर करने के लिए कानूनविदों से रायशुमारी कर इसके अपनी अनुशंसा करेगी. अब जब प्रदेश की 49 निकायों में 25 नवंबर को कार्यकाल खत्म होना है, जबकि जयपुर, कोटा और जोधपुर सहित कई निकायों का कार्यकाल अगले साल नवंबर में समाप्त होगा. जिन 49 निकायों का कार्यकाल 25 नवंबर को खत्म होना है, उसमें जल्द ही प्रशासक की नियुक्ति की जा सकती है. 

बजट में वन स्टेट वन इलेक्शन की हुई थी घोषणा

बता दें कि वित्त मंत्री दिया कुमारी ने इस बार बजट में वन स्टेट वन इलेक्शन की घोषणा की थी. सरकार के इस फैसले का कांग्रेस ने विरोध भी किया था. वहीं, UDH मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने वन स्टेट वन इलेक्शन पर कहा था कि बार-बार आचार संहिता लगने से सरकार के काम प्रभावित होते हैं और सरकारी खजाने पर भार पड़ता है. 

Advertisement

यह भी पढ़ें- 

मेवाड़, ढूंढाड़-मारवाड़ के बीच संबंध पर बोलीं दिया कुमारी, कहा- गलत तरीके से किया गया प्रचारित 

राजस्थान में सरकारी नौकरी के इंतजार में बैठे 40 लाखों युवाओं को झटका! गहलोत सरकार के एक और नियम बदलने की तैयारी