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This Article is From Nov 02, 2023

Rajasthan Election 2023: प्रयोग के चक्कर में यहां 20 साल से हार रही है कांग्रेस', अब मिला 48 घंटों का दिया अल्टीमेटम

सिवाना विधानसभा में कांग्रेस ने फिर एक नया प्रयोग किया. इस सीट पर 20 साल से कांग्रेस हारती आ रही है, अब की बार मानवेन्द्रसिंह को मैदान में उतारा गया है. कांग्रेस की सूची जारी होने के बाद सिवाना विधानसभा में कांग्रसी कार्यकर्ताओ में नाराजगी देखने को मिल रही है.

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Rajasthan Election 2023: प्रयोग के चक्कर में यहां 20 साल से हार रही है कांग्रेस', अब मिला 48 घंटों का दिया अल्टीमेटम
सिवाना सीट से उम्मीदवारी जता रहे सुनील परिहार के फार्म हाउस पर कार्यकर्ताओं की बैठक

Rajasthan Assembly Election 2023- बाड़मेर जिले के सिवाना विधानसभा सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के पुत्र मानवेन्द्र सिंह को प्रत्याशी बनाया गया है. इस सीट से उम्मीदवारी की उम्मीद लगाए सुनील परिहार ने टिकट नहीं मिलने पर गुरूवार को फार्म हाउस पर कार्यकर्ताओ की बैठक की, जहां एक सुर में सभी कार्यकर्ताओं ने पार्टी को इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की और सुनील परिहार को टिकट देने की मांग की.

सुनील परिहार की उम्मीदवारी का समर्थन कर रहे कार्यकर्ताओं का कहना है कि सिवाना सीट को एक प्रयोगशाला की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है जिसके चलते 20 साल से यहां कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ रहा है.

सुनील परिहार ने दिया 48 घंटे का अल्टीमेटम

वहीं, कार्यकर्ताओं की भावनाओ को देखते हुए सुनील परिहार ने भी पार्टी आलाकमान को 48 घण्टे का अल्टीमेटम दिया और कहा कि 48 घण्टे बाद भी कार्यकर्ताओ की भावनाओ को अनदेखा किया जाता है, तो जो सिवाना की जनता आदेश करेगी उसकी पालना करूंगा.

सुनील परिहार​​​​​​​ का कहना है कि पार्टी सिवाना की महाभारत में मानवेन्द्र सिंह को भी एक चक्रव्यूह में फंसाने की कोशिश की जा रही है, मेरी उनसे भी बात हुई है उन्होंने भी कहा मैं भी इस निर्णय से हैरान हूं. कुछ कपटी लोग पार्टी का भट्टा बैठना चाहते है. निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया गया तो पार्टी को इस बार फिर नुकसान उठाना पड़ेगा.

स्थानीय प्रत्याशी को किया जाता है नजरअंदाज

गौरतलब है जारी चौथी में कांग्रेस ने मानवेन्द्र सिंह को सिवाना विधानसभा से प्रत्याशी बनाया है, जबकि बीजेपी से यहां हमीर सिंह भायल को अपना प्रत्याशी बनाया है. पिछले चार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को यहां से हार का सामना करना पड़ रहा है. कांग्रेस में स्थानीय उम्मीदवारों को नजरअंदाज कर बाहरी प्रत्याशी को मैदान में उतारा जाता रहा है. कांग्रेस के हर बार नया प्रयोग करने से कार्यकर्ता भी निराश नजर आ रहे है.

सिवाना सीट पर अंतिम बार 1998 से जीत हासिल की थी

 पिछले चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो यहां कांग्रेस ने अंतिम बार 1998 से सिवाना सीट पर जीत हासिल की थी. तब यह सीट एससी रिजर्व सीट थी. 1998 में कांग्रेस से गोपाराम मेगवाल जीते थे, 2003 में निर्दलीय टीकमचंद कांत ने कांग्रेस के गोपाराम को हराया, 2008 में सामान्य सीट घोषित होने पर बीजेपी से कानसिंह कोटड़ी यहां से जीते, बसपा दूसरे व कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही. 2013 में बीजेपी ने हमीरसिंह भायल को टिकट दिया, जिन्होंने कांग्रेस के महंत निर्मलदास को हराया.

2018 में बाहरी पंकज प्रताप सिंह को मैदान में उतारा 

2018 कांग्रेस ने बाहरी प्रत्याशी पंकज प्रताप सिंह को मैदान में उतारा तो कांग्रेस में बगावत के चलते बालाराम चौधरी निर्दलीय के रूप चुनाव लड़े. इस कारण बीजेपी के हमीर सिंह भायल नजदीकी अंतर से ही जीत पाए. अबकी बार फिर एक नया प्रयोग कर मानवेन्द्र सिंह को टिकट दिया है, जिस पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नाराजगी नजर आ रही है.

सुनील परिहार ने आलाकमान को 48 घण्टे का अल्टीमेटम देकर बगावत का बिगुल फूंक दिया है. अब द्वखने वाली बात होगी कि कांग्रेस इस बार पुराना रिकार्ड दोहराएगी या यहां से 20 साल बाद कामयाब होगी.

सिवाना विधानसभा के पिछले 7 चुनावों का इतिहास

  • 1990-हुकमाराम (बीजेपी)
  • 1993-टीकमचंद कांत(बीजेपी)
  • 1998-गोपाराम मेगवाल(कांग्रेस)
  • 2003-टीकमचंद कांत(निर्दलीय)
  • 2008-कानसिंह कोटड़ी(बीजेपी)
  • 2013-हमीरसिंह भायल(बीजेपी)
  • 2018-हमीरसिंह भायल(बीजेपी)
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