
राजधानी जयपुर में बारिश के बाद शहर की सड़कों की हालत और भी ख़राब हो गई है. कीचड़, गड्ढे और जलभराव के चलते आवागमन मुश्किल हो रहा है. ऊपर से सार्वजनिक निर्माण विभाग के ठेकेदारों की हड़ताल ने हालात को और गंभीर बना दिया है. NDTV राजस्थान की टीम ने जब शहर के कई इलाकों का जायज़ा लिया तो साफ़ दिखा कि सड़कों की मरम्मत के नाम पर केवल अस्थायी पैबंद लगाए जा रहे हैं जबकि स्थायी समाधान का कोई रोडमैप नहीं है.
"ठेकेदारों की मनमर्जी नहीं चलेगी"
PWD मंत्री दिया कुमारी ने साफ कहा है कि ठेकेदारों की मनमर्जी नहीं चलने दी जाएगी. ठेकेदार सड़क निर्माण में ‘डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड' को 5 साल से घटाकर 3 साल करना चाहते हैं, लेकिन सरकार क्वालिटी कंट्रोल से कोई समझौता नहीं करना चाहती. मंत्री ने साफ किया है कि 5 साल की समय सीमा यथावत रहेगी.
सड़क खराब होने से लोगों में रोष
सहयोगी सुशांत पारीक जब जयपुर के बजरी मंडी इलाके पहुंचे तो वहां सड़कों की जर्जर हालत देखकर स्थानीय लोग बेहद नाराज़ दिखे. गड्ढे भरने और कीचड़ हटाने के लिए JCB मशीनें जरूर लगी थीं, लेकिन लोगों का कहना है कि यह सिलसिला हर साल चलता है ना पार्षद ज़िम्मेदारी लेते हैं, ना विधायक. स्थानीय लोगों का का कहना है कि हर साल बारिश में यही हाल होता है, बस लीपापोती कर दी जाती है स्थायी सड़क बनती ही नहीं.
लोग बोले- हमें स्थायी समाधान चाहिए
टूटी सड़कों पर चलना बुज़ुर्गों और स्कूली बच्चों के लिए बेहद जोखिम भरा हो गया है. स्थानीय लोगों ने बताया कि कई बार टू व्हीलर चालक गड्ढों में गिरकर घायल हो चुके हैं. स्थानीय लोगों की मांग है कि बरसात के बाद केवल गड्ढे भरने की खानापूर्ति न हो, बल्कि सड़कों की स्थायी मरम्मत की ठोस योजना बनाई जाए. साथ ही बारिश से पहले प्री-मानसून सर्वे और कार्रवाई की व्यवस्था हो, ताकि हर साल यही संकट दोहराया न जाए.
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