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राजस्थान का ऐसा गांव, जहां लगे 30 लाख पेड़; अनोखी पहले के लिए पूर्व सरपंच को मिला पद्मश्री

हर वर्ष रक्षाबंधन पर पिपलांत्री गांव की बेटियां अपने भाई को राखी बांधने से पहले पेड़ों को राखी बांधती हैं. मान्यता है जिन पेड़ों को उनकी मां राखी बाँधती आई हैं उन पेड़ों को बेटियां भी राखी बाँधती हैं.

राजस्थान का ऐसा गांव, जहां लगे 30 लाख पेड़; अनोखी पहले के लिए पूर्व सरपंच को मिला पद्मश्री
राजस्थान का अनोखा गांव पिपलांत्री, जिसके पूर्व सरपंच को मिला पद्मश्री

Rajsamand Piplantri Village: राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े बुधवार को राजसमंद के पिपलांत्री पहुंचे. पिपलांत्री एक अनोखा गांव है, जो चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है और यह बेटी, पानी, पेड़ और गोचर भूमिक बचाने के लिए पूरे देश में जाना जाता है.  मार्बल इलाका होने से 20 साल पहले पूरी तरह से तहस नहस हो चुका था. इसके बाद उस समय के सरपंच श्यामसुंदर पालीवाल ने फिर हरा भरा करने का बीड़ा उठाया और पंचायती राज में होने वाले काम को सही तरीके से करके एक आदर्श मॉडल प्रस्तुत किया. इस गांव में करीब 30 लाख पेड़ लगाए गए हैं. 

पूर्व सरपंच को मिला पद्मश्री

पिपलांत्री गांव में बेटी, पानी, पेड़ और गोचर भूमि बचाने के लिए श्यामसुंदर पालीवाल को 2021 में पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है. श्यामसुंदर के प्रयास के चलते अगर इस पंचायत में बेटी होती है तो स्थानीय महिलाएं थाली मादल बजाती हुई गीत गाकर उसके घर जाकर बधाई देती हैं. उसके बाद बेटी के नाम से परिवार को 111 पौधे लगाने होते हैं. इसी पंचायत में किरण नीधी योजना भी संचालित है, जिसके तहत परिवार से 11 हजार का अनुदान लेकर बाकी की रकम जन सहयोग से जुटाई जाती है और 21 हजार रूपये की एफडी नवजात बेटी के नाम से करवा दी जाती है. बेटी के वयस्क होने पर यह रकम करीब 10 लाख रुपए हो जाती है जो बेटी के भविष्य मे शिक्षा व विवाह के लिए काम ली जाती है.

पेड़ों को बेटियां बांधतीं राखी

इसके पीछे का उद्देश्य इलाके को हरा-भरा करना, ग्रामीणों का पर्यावरण के साथ जोड़ना और बेटी बोझ है, इस विचार को बदलना है. बेटी पैदा होने पर इस पंचायत में उत्सव मनाया जाता है. यही नहीं हर वर्ष रक्षाबंधन पर गांव की बेटियां अपने भाई को राखी बांधने से पहले पेड़ों को राखी बांधती हैं. मान्यता है जिन पेड़ों को उनकी मां राखी बाँधती आई हैं उन पेड़ों को बेटियां भी राखी बाँधती हैं. इस लिहाज से वह पेड़ उनके मामा के माने जाते हैं.

जब यह बेटियां विवाह कर अपने ससुराल चली जाती हैं और रक्षाबंधन पर अपने मायके के लौट कर आती हैं तो इन पेड़ों की देखरेख कर साथ में उसे रक्षा सूत्र भी बाँधती हैं. जिस तरह से भाई अपनी बहन की रक्षा करता है उसी प्रकार यह पेड़ भी प्रकृति की रक्षा करते हैं. पेड़ों को राखी बांधने की परंपरा इस पंचायत में पिछले 16 वर्षों से लगातार संचालित है. गांव वालों की इस अनोखी पहल की तारीफ करते हुए महामहिम राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने कहा कि गांव में बहुत अच्छा काम हुआ है. गांव वालों का प्रण है कि अगर बच्ची होगी तो 111 पेड़ लगाएंगे. ये राजस्थान के इतिहास ऐसा काम कहीं और नहीं हुआ है.

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