Churu: चूरू सांसद राहुल कस्वां ने मनरेगा में भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोप पर बीडीओ की क्लास ले ली. इस बैठक का वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें अधिकारियों और सांसद के बीच गहमा गहमी का माहौल दिखा. बीते 17 जनवरी को जिला समन्वय और निगरानी समिति (दिशा कमेटी) की बैठक हुई थी. इसमें जिले में विभिन्न योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की एवं आगामी रूपरेखा पर अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए. इसी दौरान चूरू सांसद तारानगर पंचायत समिति में फंड आवंटन को लेकर भड़क गए. उनका कहना था कि अकेले तारानगर पंचायत समिति को 44 करोड़ दे दिए हैं और इसमें भी एक ही ग्राम पंचायत को हर महीने 1 करोड़ रू. आवंटित कर दिए गए. इस पंचायत में स्थानीय श्रमिकों के बजाय बाहर से लाकर श्रमिक लगाए; जो मनरेगा के प्रावधानों का खुला उल्लंघन है. तारानगर के अलावा जिले की शेष पंचायत समितियों को मात्र 15 करोड़ रूपए के आस-पास ही बजट आवंटन हुआ है.
खास बात यह है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ (Rajendra Rathore) ने तारानगर निर्वाचन क्षेत्र से ही चुनाव लड़ा था. हार के बाद उन्होंने राहुल कस्वां पर धोखा देने का आरोप भी लगाया, जिसके बाद दोनों नेताओं के बीच खाई गहरी होती चली गई. अब पंचायत समिति के मामले में वीडियो वायरल होने के बाद तारानगर के बहाने दोनों नेताओं की सियासी दुश्मनी की चर्चा भी होने लगी है.
राजेंद्र राठौड़ के इलाके को बड़ा फंड देकर फंस गए BDO, राहुल कस्वां ने बीच मीटिंग में लगाई अधिकारी की क्लास
— NDTV Rajasthan (@NDTV_Rajasthan) January 18, 2025
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मनरेगा में बजट आवंटन मामले में लगाई फटकार
कस्वां का कहना है कि मनरेगा के तहत्त श्रमिक बजट आवंटन में भारी अनियमितता हुई है. साथ ही श्रमिक बजट आवंटन के प्रावधानों की भी खुलेआम अवेहलना हुई है. इस मामले में व्यापक जांच करवाने और कार्यवाही के लिए जिला परिषद सीईओ को निर्देश भी दिए. सांसद की शिकायत है कि अमृत योजना के तहत्त चूरू और सुजानगढ़ में सीवरेज व ड्रेनेज के लिए करोड़ों का बजट आया है, लेकिन विभागीय उदासीनता के चलते कार्य की स्थिति संतोषजनक नहीं है. इसे लेकर भी वह अधिकारियों को फटकार लगाते नजर आए.
किसानों को हुए नुकसान का नहीं मिला मुआवजा
कांग्रेस सांसद ने गाजसर गैनाणी टूटने से किसानों को हुए नुकसान का मुआवजा देने के लिए प्राथमिकता से कार्यवाही करने के लिए भी कहा. इसके अलावा उन्होंने जेजेएम (जल जीवन मिशन) मामले में भी असंतोष जाहिर किया. उन्होंने सवाल उठाया कि पोर्टल पर अधिकारियों ने एंट्री तो इस प्रकार कर रखी है कि 68% गांवों में पानी घर-घर नल के माध्यम से पहुंच चुका है; जबकि हकीकत में बहुत सी स्वीकृत टंकियों का निर्माण ही नहीं हुआ है तो पानी पहुंचेगा कैसे? इसके अलावा जिले में RUB की मांग, बोबासर (सुजानगढ़) में फॉरलेन कार्य और राजलदेसर में ओवरब्रिज निर्माण कार्य के प्रस्ताव भी केंद्र सरकार को भिजवाने के लिए भी विभाग के अधिकारियों को कहा है.
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