
Rajasthan: भील प्रदेश की अलग मांग करने वाले सांसद राजकुमार रोत ने बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ के बयान पर कहा कि आप राजस्थान विधानसभा के सात बार सदस्य और नेता प्रतिपक्ष रहे हैं. आप संसदीय कार्यप्रणाली के ज्ञाता हैं, जिसे मैंने मेरे 15वीं विधानसभा के कार्यकाल के दौरान अनुभव किया है. सदन की कार्यवाही के दौरान आप तुरंत एक पुस्तक लेकर खड़े होते थे, और विधानसभा प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमों का हवाला देते थे. ऐसे विद्वान राजनेता से मुझे भील प्रदेश की मांग के संबंध में इस प्रकार के बयान की कतई अपेक्षा नहीं थी.
"नंदलाल मीणा जी का भी अपमान किया"
राजकुमार रोत ने आगे लिखा, "आपके इस्तेमाल किए गए 'प्रदेशद्रोह' सहित विभिन्न असंसदीय शब्दों पर मुझे घोर आपत्ति है. आपने इन शब्दों का प्रयोग कर हमारे देश के कई महान नेताओं के साथ झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड का गठन करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी का भी अपमान किया है. आपने वर्तमान राजस्व मंत्री के पिता और आपके साथी कैबिनेट मंत्री रहे आदरणीय नंदलाल मीणा जी का भी अपमान किया है, जिन्होंने भील प्रदेश निर्माण की मांग का पुरजोर समर्थन किया था."
आदरणीय राठौड़ साहब,
— Rajkumar Roat (@roat_mla) July 17, 2025
आप राजस्थान विधानसभा के सात बार सदस्य और नेता प्रतिपक्ष रहे हैं। आप संसदीय कार्यप्रणाली के ज्ञाता हैं, जिसे मैंने मेरे 15वीं विधानसभा के कार्यकाल के दौरान अनुभव किया है। सदन की कार्यवाही के दौरान आप तुरंत एक पुस्तक लेकर खड़े होते थे और विधानसभा प्रक्रिया एवं…
संविधान में नए राज्यों के निर्माण का प्रावधान
सांसद रोत ने आगे कहा, "मैं आपको ध्यान दिलाना चाहता हूं कि भारत के संविधान में नवीन राज्यों के निर्माण और पुनर्गठन के प्रावधानों का स्पष्ट उल्लेख है. स्वतंत्र भारत में विभिन्न आधार पर कई नए राज्यों का गठन हुआ है. भील प्रदेश भी राज्य बनने के लिए भाषाई-सांस्कृतिक-भौगोलिक एकरूपता, संसाधनों का असमान वितरण एवं आर्थिक विकास की जरूरत जैसे विभिन्न मापदंड पूरे करता है."
राजस्थान की आन, बान और शान को तोड़ने की साजिश कभी सफल नहीं होगी।
— Rajendra Rathore (@Rajendra4BJP) July 15, 2025
बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद श्री राजकुमार रोत द्वारा जारी किया गया तथाकथित "भील प्रदेश" का नक्शा एक शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण राजनीतिक स्टंट है। यह न केवल गौरवशाली राजस्थान की एकता पर चोट है बल्कि… pic.twitter.com/KmuQeDL5jY
"नए राज्यों के गठन के इतिहास का अध्ययन करें"
उन्होंने कहा, "हमारे पुरखों ने गोविंद गुरु के नेतृत्व में 1913 में अलग भील राज्य की स्थापना का स्वप्न देखा था, जो लोकतांत्रिक तरीके से अवश्य साकार होगा. अंत में मेरा आपसे एक विशेष आग्रह है कि आप जैसे संसदीय प्रणाली के विद्वान राजनेता को ऐसे तथ्यहीन, अतार्किक और भ्रामक बयान शोभा नहीं देते हैं. आप देश के संविधान में नवीन राज्यों के निर्माण एवं पुनर्गठन से संबंधित प्रावधानों तथा स्वतंत्र भारत में नए राज्यों के गठन के इतिहास का अध्ययन करें और उसके पश्चात भील प्रदेश निर्माण के संबंध में अपना तथ्यात्मक एवं तार्किक पक्ष रखें."
उन्होंने आगे लिखा, "भील प्रदेश हमारे पुरखों का संकल्प है, एक सच्चाई है और हमारा अधिकार है, जिसे हम लोकतांत्रिक तरीके से लेकर रहेंगे." य जोहार, जय संविधान, जय भील प्रदेश.