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Rajasthan: सीकर में 9 साल की स्कूली छात्रा की मौत- क्या छोटे बच्चों को आ सकता है हार्ट अटैक?

हार्ट अटैक आज के दौर में एक बहुत सामान्य बात हो चुकी है लेकिन बच्चों को दिल की बीमारी या हार्ट अटैक होने के बारे में कम ही सुना जाता है.

Rajasthan: सीकर में 9 साल की स्कूली छात्रा की मौत- क्या छोटे बच्चों को आ सकता है हार्ट अटैक?
चौथे क्लास में पढ़नेवाली 9 साल की प्राची टिफिन खाते समय क्लास में ही गिर पड़ी

Sikar: राजस्थान के सीकर जिले में एक स्कूली छात्रा की अचानक हुई मौत ने सबको हैरान कर दिया है. सीकर के दांतारामगढ़ में एक स्कूल में मंगलवार (15 जुलाई) को चौथी क्लास में पढ़नेवाली 9 साल की एक बच्ची प्राची कुमावत क्लास में ही टिफिन खोलते समय बेहोश हो गई. बाद में उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया लेकिन उसकी मौत हो गई. पहले बच्ची को स्थानीय दांता हॉस्पिटल में ले जाया गया और वहां के डॉक्टर ने बताया कि बच्ची के दिल में धड़कन नहीं थी. इसके बाद उसे एंबुलेंस से सीकर हॉस्पिटल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया. डॉक्टरों का कहना है कि ऐसा लगता है कि बच्ची को दिल का दौरा पड़ा था.

इस घटना के बाद ये सवाल पूछा जा रहा है कि क्या छोटे बच्चों को भी दिल का दौरा पड़ सकता है? हार्ट अटैक आज के दौर में एक बहुत सामान्य बात हो चुकी है लेकिन बच्चों को दिल की बीमारी या हार्ट अटैक होने के बारे में कम ही सुना जाता है. राजस्थान में इसी वर्ष मार्च में कोटपुतली में 13 साल के एक बच्चे की अचानक मौत हो गई थी जब वो दोस्तों के साथ खेलकर वापस घर लौट रहा था. उस मामले में भी उशे हार्ट अटैक होने की आशंका जताई गई थी.

छोटे बच्चों को दिल की बीमारी

ब्रिटेन की स्वास्थ्य सेवा एनएचएस का कहना है कि कई लोगों में दिल की बीमारी जन्मजात हो सकती है. इससे उनका दिल सामान्य तरह से काम नहीं कर पाता. ब्रिटेन में यह बहुत सामान्य है और वहां हर 100 में से 1 बच्चे को दिल की जन्मजात बीमारी पाई जाती है.

ऐसा क्यों होता है, इसका कोई निश्चित कारण अभी तक नहीं ढूंढा जा सका है. लेकिन, ये कई वजहों से हो सकता है. इनमें कई बार गर्भावस्था में ही अल्ट्रासाउंड जाँच के दौरान बच्चे में दिल की बीमारी का पता चल सकता है.

कार्डियक अरेस्ट का ख़तरा

जन्मजात दिल की बीमारी होने से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं. लेकिन इससे अचानक कार्डियक अरेस्ट भी हो सकता है और जान जा सकती है. हालाँकि इसका ख़तरा बहुत कम होता है. बच्चों में इसका पता चल जाने के बाद दिल की जन्मजात बीमारी का कई तरह से इलाज भी किया जाता है.

कई लोगों में दिली में सूराख जैसी समस्याएँ होती हैं जो बहुत गंभीर नहीं होती और अक्सर इनमें इलाज की भी आवश्यकता नहीं होती क्योंकि वो अपने आप ठीक हो सकती हैं और आगे चलकर कोई गंभीर समस्या नहीं होती.

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