
Sikar News: सुजानगढ़ में करोड़ों रुपए का सरकारी गेहूं खराब सिस्टम की लेचर व्यवस्था के चलते खराब हो रहा है. एफसीआई गोदाम में आठ दिन से 21 करोड़ से ज्यादा का 90 हजार क्विंटल राशन का अनाज (गेहूं व चावल) पानी में डूबा हुआ है. अब तो सड़ांध भी मारने लगा है. हद ये है कि एफसीआई के जिम्मेदार अफसर सवालों के जवाब तक नहीं दे रहे. सिर्फ बचना चाह रहे हैं. अनाज के सड़ांध मारने के कारण प्रशासन ने महामारी फैलने का अलर्ट तक जारी कर दिया है.
चौंकाने वाली बात ये है कि अनाज को बाहर निकालने के लिए अभी तक अफसरों ने शटर तक नहीं खोल पाए हैं. 24 अगस्त को मूसलाधार बारिश के बाद गोदाम में पानी भर गया था. दीवार टूटने के कारण गेनाणी का गंदा पानी भी गोदाम में घुस गया था. अभी भी 3 से 4 फीट तक पानी भरा हुआ है.
जितना पानी निकाला उतना फिर आ गया
पिछले साल मानसून बेहतर रहा तो मंडियों में अनाज की 20 प्रतिशत तक पैदावार ज्यादा पहुंची. एफसीआई ने भी किसानों से खूब माल खरीदा, लेकिन इसे सुरक्षित रखने की नाकामी का ये सबसे बड़ा उदाहरण सुजानगढ़ के एफसीआई गोदाम में देखने को मिला. स्थानीय एफसीआई गोदाम का खराब हुआ करोड़ों रुपए का गेहूं आठ दिन से इस कदर दुर्गंध मार रहा है कि व्यक्ति का दूर तक भी खड़ा रहना दुश्वार हो रहा है.
दूसरी ओर अभी तक संभावित सही गेहूं निकालने के आसार फिलहाल 2 दिन तक नजर नहीं आ रहे हैं, जबकि रविवार को फिर बरसात से एफसीआई, नगर परिषद, प्रशासन के अधिकारियों के चेहरों की हवाइयां उड़ गई, क्योंकि जितना पानी निकाला था, उतना वापिस आ गया है. निगम बीकानेर, दिल्ली, जयपुर की टीमें भी निरीक्षण कर रही हैं. एफसीआई गोदाम तक जाने के लिए मिट्टी के बनाए रास्ते पर 6-6 इंच पाइप बेकार पड़े हैं. इसी जगह दो सफेद कपड़ेनुमा पाइप में चार इंच का चालू है जबकि 6 व 8 इंच के बंद पड़े है. एक नोहरे में तीन पीटीओ चल रहे है जबकि दो बेकार खड़े है.
अधिकारियों ने जायजा लिया, कुछ भी बताने से बच रहे
कैमरे के सामने अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं. हालांकि सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक लाख 78 हजार कट्टे गेहूं व दो हजार कट्टे चावल के हैं. कट्टों में 89 हजार क्विंटल गेहूं है. एक कट्टे की कीमत 1200 रुपए है. इस हिसाब से 21.36 करोड़ रुपए का गेहूं है. वहीं एक हजार क्विंटल चावल है. 1500 रुपए एक कट्टे के हिसाब से 30 लाख रुपए का चावल है.
अधिकारी लगातार दौरे व निरीक्षण कर रहे हैं, लेकिन वे ये नहीं बता पा रहे हैं कि माल कितना खराब हुआ है. हां, ये मान रहे हैं कि अंदर बहुत पानी भरा है. माल निकालने पर ही बता सकते हैं कि कितना गेहूं व चावल खराब हुआ है. बुधवार शाम तक अनाज को बाहर नहीं निकाला जा सका है.
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