
राजस्थान में आंगनबाड़ी केंद्रों पर लाखों गर्भवती और धात्री महिलाओं (ऐसी महिलाएं जो बच्चों को स्तनपान कराती हैं) को पोषाहार नहीं मिलेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि यह महिलाएं एफआरएस यानी Facial Recognition System (चेहरे की पहचान प्रणाली) से नहीं जुड़ी हैं. इससे आंगनबाड़ी केंद्रों पर आने वाले 6 महीने से 3 साल तक बच्चे भी इस सुविधा से वंचित होंगे. दरअसल, इस योजनाओं का लाभ सही लाभार्थी तक पहुंचाने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय FRS लागू कर रहा है. इसके लागू होने के बाद लाभार्थी की फोटो से उसकी पहचान करने के बाद ही उसे आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषाहार मिल सकेगा. इसका मकसद पोषाहार वितरण में होने वाला फर्जीवाड़ा रोकना है और साथ ही इसकी रियल टाइम मॉनिटरिंग हो सकेगी. केंद्र सरकार ने 1 जुलाई से FRS के जरिए पोषाहार वितरण करने के निर्देश दिए थे. लेकिन कई महिलाओं और बच्चों का ई-केवाईसी व फोटो अपडेट नहीं है. अब उन्हें पोषाहार व अन्य लाभकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल सकेगा.
इन महिलाओं को क्यों नहीं मिलेगा पोषाहार?
केंद्र के निर्देश के बावजूद FRS के लक्ष्य का 77 प्रतिशत काम ही राजस्थान में पूरा हो सका है. FRS को लागू करने में राजस्थान देश में 9वें स्थान पर है. राज्य में कुल 23 लाख 56 हजार 82 लाभार्थी FRS के अन्तर्गत हैं. इनमें 26 जून तक 18 लाख 15 हजार 774 लाभार्थियों को FRS से जोड़ा गया. अभी भी राज्य में 5 लाख 40 हजार 308 गर्भवती महिलाएं FRS से नहीं जुड़ी हैं. तकनीकी परेशानी के चलते 100 फीसदी लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सका.
योजना का लाभ लेने के लिए करना होगा ये काम
लाभार्थियों को योजना का लाभ लेने के लिए पंजीकरण और ई-केवाईसी कराना होगा. आधार कार्ड और चेहरे का सत्यापन होने के बाद ही योजना के लिए योग्य माने जाएंगे. इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पोषण ट्रैकर ऐप से लाभार्थियों को पोषाहार देने से पहले उनका फोटो लेंगी. लाभार्थी के फोटो का मिलान होने के बाद उसके मोबाइल नंबर पर ओटीपी आएगा. इस ओटीपी को बताने के बाद ही लाभार्थी को टेक होम राशन (THR) या पोषाहार दिया जाएगा. अब लाभार्थियों को खुद आंगनबाड़ी केंद्र पर जाकर ही पोषाहार लेना होगा.
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