Rajasthan News: राजस्थान में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियां बिसात बिछाकर मोहरें सेट करने में लगी हुई हैं. बीकानेर भी इससे अछूता नहीं है. यहां भी सियासी शतरंज के खिलाड़ी अपनी चालें चलने की जुगत भिड़ाने में लग गए हैं. जहां कांग्रेस ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं, वहीं भाजपा ने 41 नाम घोषित कर रणभेरी बजा दी है. इनमें से एक नाम बीकानेर की एक अहम विधानसभा सीट श्री डूंगरगढ़ पर वरिष्ठ नेता ताराचन्द सारस्वत का है, जिन पर भाजपा ने दांव खेला है.
सारस्वत वरिष्ठ नेता हैं और पिछले विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने उन्हें उतारा था, लेकिन सीपीआई-एम के उम्मीदवार गिरधारी लाल के सामने उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. 178725 वोटों में से 42973 यानी 24.04% वोट हासिल करके वे दुसरे स्थान पर रहे थे. कांग्रेस को श्री डूंगरगढ़ विधानसभा सीट पर तीसरे स्थान पर सन्तोष करना पड़ा था. उन दिनों भाजपा के ही एक दुसरे वरिष्ठ नेता किशना राम नाई टिकट नहीं मिलने से नाराज थे, और पार्टी से बाहर हो गए थे. इस बार भी किशना राम को पार्टी ने आराम दे दिया और टिकट की दौड़ में शामिल किशना राम कोप भवन में जाकर बैठ गए.
दो दिनों पहले किशना राम के फार्म हाउस पर मीटिंग हुई जिसमें एक पूर्व जिलाध्यक्ष और एक पूर्व प्रधान ने भी शिरकत की. ऐसा बताया जा रहा है कि इस मीटिंग में किशना राम नाई अपने पोते को चुनाव लड़ाने की रणनीति तैयार कर रहे हैं. किशना राम का कहना है कि वे अपने पोते के लिए टिकट के इच्छुक थे, लेकिन टिकट ताराचन्द सारस्वत को मिल गई. इस बारे में ज्यादा कुछ कहने वे इनकार करते हैं, लेकिन ये जरूर कहते हैं कि अगर उनके समर्थक कहेंगे तो अपने पोते को वे चुनाव लड़वाने की बात कहते हैं. इसके लिए दो दिनों बाद मीटिंग फिर से बुलाई है.
उधर भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार ताराचन्द सारस्वत का कहना है कि उनका किसी से कोई मन-मुटाव नहीं है और वे सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं. जो लोग भी टिकट के दावेदार थे, वे सभी के पास गए हैं और मिले हैं. लेकिन उनका ये भी कहना है कि कोई खुलकर जवाब नहीं दे रहा है. वे अब जन-संपर्क में लग गए हैं. किशना राम नाई की नाराजगी के बारे में उनका कहना है कि वे कुछ वक्त पहले ही पार्टी में शामिल हुए हैं और उनकी वापसी भी बिना शर्त हुई है. किशना राम के यहां हुई मीटिंग के बारे में वे कोई कमेन्ट करने से इनकार करते हैं.
वहीं केन्द्रीय कानून मंत्री और पार्टी के कद्दावर नेता अर्जुन राम मेघवाल श्री डूंगरगढ़ में चल रहे हालात को पहले ही भांप चुके थे. इसलिए उन्होंने अपने समर्थकों को साफ इशारा कर रखा है कि वे सिर्फ पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के ही साथ रहें. इसके अलावा किसी भी तरह के गुट या राजनीति से दूर रहें. हालांकि उनके खेमे के दो लोग पूर्व अध्यक्ष राम गोपाल सुथार और पूर्व प्रधान छैलु सिंह किशना राम नाई के यहां हुई बैठक में मौजूद थे. इस पर दोनों का ही कहना है कि किशना राम भाजपा के नेता हैं. इसलिए उनके यहां जाना गलत नहीं है.
टिकट मिलते ही श्री डूंगरगढ़ भाजपा में कलह शुरू हो गई है, लेकिन चुनावी मौसम की शुरुआत में ऐसा अक्सर होता है. लेकिन इसे वक्त रहते भाजपा में कन्ट्रोल नहीं किया तो ये कलह घमासान में भी तब्दील हो सकती है. क्योंकि विपक्षी दल कांग्रेस ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं.