
Rajasthan News: राम-राम काकी, काकू केथ गया....अच्छा बाहर गिया है....कोई बात कोणी. मेह तो आपरे हाथ री मसाले आली चाय विपण आया हां....आज तो आपरे हाथ चाय पी पछे ही आगे चालो ला. यह गूंज इन दिनों पश्चिमी राजस्थान के हर गांव, ढाणी के घर व गांव की कोठड़ियों की चौखट पर सुनाई दे रही है. यह गूंज अब सुनाई देना लाजमी भी है, क्योंकि अब राजस्थान में विधानसभा चुनाव जो हैं.
अब तक आप समझ तो गए ही होंगे कि इन शब्दों को गुंजायमान करने वाले कौन लोग हैं. जी हां, यह पुकार लगाने वाले कोई ओर नहीं आपके और हमारे क्षेत्र के नेताजी हैं. जो इस बार विधायक बनना चाहते हैं या किसी पार्टी के नेता के लिए समर्थन जुटाने में लगे हुए हैं. नेताजी का मकसद सिद्ध हो इसलिए अपने कार्यकर्ताओं के साथ नेताजी स्वयं दौरों पर दौरे कर रहे हैं. एक लंबे अरसे जो नेताजी अपनी वीवीआईपी गाड़ियों में बैठने के बाद पैर जमीन पर तक नहीं टिकाते थे, वो अब गांव, ढाणी, गली, मोहल्लों में घूम कर चाय पी रहे हैं. खास बात तो यह है कि चाय तो केवल बहाना है, हकीकत में तो लोगों के बीच जाना ही असली फसाना है.
चाय पर आए नेताजी जब घरों में पहुंचते हैं और काकी की हाथ की चाय पीने के साथ-साथ परिवार से मुलाकात करते हैं और चुनावी चर्चा शुरू करते हुए कभी प्रत्यक्ष तो कभी अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन मांगने के साथ-साथ इतनी मिठ्ठी-मिठ्ठी बाते करते हैं, मानों नेताजी की बातों के आगे एक बार तो गुड़ भी फीका प्रतीत हो जाए. गुड़ से मीठे नेताजी के यह बोल और इनके पीछे का कारण भी आप जानते है. 'विधानसभा चुनाव 2023' हालांकि अभी तक कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों की पहली व भाजपा की दूसरी लिस्ट का इंतजार लगातार जारी है. दोनों ही पार्टियों के नेताजी की टिकट फाइनल नहीं हुई है. लेकिन पश्चिमी राजस्थान का क्षेत्र बड़ा लंबा चौड़ा है और समय की कमी के चलते दोनों ही पार्टियों के तमाम विधायक पद के दावेदारों अभी से ही जनसंपर्क अभियान मे जुट गए हैं.