राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस-भाजपा समेत कई अन्य दलों ने चुनावी रण की तैयारियां शुरू कर दी हैं. वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद मेवाड़-वागड़ की 28 सीटों में से एकमात्र अनुसूचित जाति के लिए कपासन सीट रिजर्व हुई. कपासन विधानसभा सीट रिजर्व होने के बाद 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी एक बार व भाजपा प्रत्याशी दो बार यहां से जीत दर्ज की हैं. वर्ष 2011 की मतगणना के अनुसार कपासन विधानसभा की कुल आबादी का 19.85 फीसदी अनुसूचित जाति व 09.67 फीसदी अनुसूचित जनजाति की आबादी हैं.
कपासन सीट पर जनता ने बाहरी उम्मीदवारों को नकारा
मेवाड़ की एकमात्र सीट एससी के लिए रिजर्व है. ऐसे में इस सीट पर बाहरी पैराशूट उम्मीदवार भी अपना भाग्य आजमाना चाहते हैं, लेकिन पिछले दो चुनाव के नतीजों ने यह साबित कर दिया कि किसी भी पार्टी के बाहरी प्रत्याशी को यहां की जनता स्वीकार नहीं करेगी. परिसीमन के बाद 2008 में कांग्रेस के प्रत्याशी शंकर लाल बैरवा ने भाजपा के अर्जुन लाल जीनगर को 6654 मतों से पराजित किया था. दोनों प्रत्याशी कपासन विधानसभा क्षेत्र से ही थे. 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के अर्जुन लाल जीनगर ने कांग्रेस प्रत्याशी आरडी जावा को 30246 मतों से हराकर जीत दर्ज की. कांग्रेस ने यहां बाहरी प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारा था.
बाहरी प्रत्याशी उतारने से हो गया नुकसान
2018 के चुनाव में कांग्रेस-भाजपा के अलावा आरएलपी ने भी अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा, यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला. कांग्रेस ने यहां बाहरी प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारा. भाजपा के अर्जुन लाल जीनगर का भी अंदरखाने विरोध व कांग्रेस के बाहरी उम्मीदवार उतारने पर कांग्रेस के भीतर विरोध के स्वर देखने को मिले. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी चुनावी नतीजों में तीसरे स्थान पर रही. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रत्याशी शांति लाल को 27464 मत मिले. भाजपा प्रत्याशी अर्जुन लाल जीनगर ने कांग्रेस प्रत्याशी आनन्दी राम खटीक को 7002 मतों से हरा दिया था.
देखने को मिल सकता त्रिकोणीय मुकाबला
मेवाड़ की 28 सीटों में कांग्रेस-भाजपा ने अभी तक एक भी उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं किया है. यहां पिछले चुनाव में आरएलपी प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहने से इस बार भी यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है. यहां के मौजूदा भाजपा के विधायक अर्जुन लाल जीनगर का पार्टी के अंदरखाने ही विरोध के स्वर उभर रहे हैं. इस चुनाव में टिकट के लिए भाजपा से कई लोगों ने उम्मीदवारी की है. यहां कांग्रेस की हालत भी ज्यादा ठीक नहीं है. पैराशूट प्रत्याशी उतारने से पहले भी कार्यकर्ताओं ने जमकर विरोध किया. इस बार करीब 40 लोगों ने कांग्रेस पार्टी से टिकट मांगे हैं. इनके नामों का पैनल बनाने पर भी यहां खासी माथापच्ची देखी गई.
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