
Rajasthan: कोटा में वनकर्मियों ने 6 दिन पहले बिछड़े सवा महीने के नन्हे भालू के बच्चे को उसकी मां से मिला दिया है. भालू की मां बच्चे को अपनी पीठ पर बिठाकर जंगल ले गई. भालू का बच्चा भटक गया था जिसे पिछले सप्ताह कुछ बच्चे उठा कर अपने स्कूल ले आए थे. बाद में प्रशासन और वनकर्मियों को जानकारी दी गई. उन्होंने भालू को अपने पास रख कर उसे सुरक्षित जंगल में उसके परिवार से मिलाने का प्रयास किया. बिछड़े भालू के बच्चे को मिलाने में मुख्य भूमिका एक पुजारी की रही. अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क के वन कर्मियों ने बच्चे का नाम श्याणी रखा है. मां से उसके मिलने का वीडियो सामने आया है.
बच्चे स्कूल लेकर पहुंच गए थे
कोटा नगर निगम क्षेत्र के शंभूपुरा गांव जंगल से घिरा है. पिछले दिनों गांव के स्कूल के पास झाड़ियों में भालू का बच्चा दुबका पड़ा था. स्कूल के बच्चों को पता चला तो वे उसे सुरक्षित स्कूल ले आए. अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क के प्रशासन को इसकी सूचना दी गई, तो वन कर्मियों की टीम शंभूपुरा पहुंची. वनकर्मियों ने उसे अपने कस्टडी में ले लिया. उसे दूध पिलाया. डॉक्टरों से उसका चेकअप भी करवाया. इसके बाद वन विभाग की टीम उच्च अधिकारियों के निर्देश पर नन्हे भालू को उसकी मां से मिलवाने की मुहिम में जुट गई.

मां की तलाश कर रहे थे वनकर्मी
टीम में फॉरेस्टर बुद्धराम जाट, सहायक वनपाल, मनोज शर्मा, सत्यनारायण, धनराज, वाइल्ड लाइफर बनवारी यदुवंशी, उर्वशी शर्मा शामिल रहे. टीम के सदस्यों ने 24 मार्च की रात में उसकी मां को शंभूपुरा गांव के आसपास के जंगल में तलाश किया. लेकिन, नहीं मिली. 25 मार्च को पता चला कि श्योपुरियाा गांव के जंगल में एक मादा भालू ने करीब सवा महीने पहले दो बच्चों को जन्म दिया था. लेकिन, आजकल उसके साथ एक ही बच्चा नजर आ रहा है. दूसरा बच्चा साथ दिखाई नहीं दे रहा है.
कोटा में भालू का बच्चा 6 दिन बाद अपनी मां से मिला, पीठ पर बैठाकर जंगल में ले गई#Rajasthan pic.twitter.com/WCMGwkMJCs
— NDTV Rajasthan (@NDTV_Rajasthan) March 31, 2025
मंदिर के पुजारी ने की मदद
वन विभाग की टीम ग्रामीणों के साथ श्योपुरिया गांव पहुंची. उन्होंने जोनेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी शंकर से संपर्क किया और कहा कि जब भी उन्हें मादा भालू नजर आए, तो वन विभाग की टीम को तत्काल सूचना दें. शंभूपुरा गांव से श्योपुरिया करीब 15 किलोमीटर दूर है. 30 मार्च रविवार शाम 6:30 बजे मंदिर के पुजारी को एक बच्चे के साथ मादा भालू मंदिर के आसपास जंगल में नजर आई, जो पिछले तीन दिनों से दिखाई नहीं दे रही थी. उन्होंने इसकी सूचना वन विभाग को दी.
मां के पास पहुंच गई भालू
इसके बाद वनकर्मी भालू को अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क से लेकर मौके पर पहुंची. रात के अंधेरे में पुजारी की निशानदेही पर भालू की लोकेशन समझाई गई, और जैसे ही नन्हे मादा भालू को गत्ते के डिब्बे से बाहर निकाला तो वह दौड़कर जंगल में जाते नजर आ रही मां के पास पहुंच गया. मां ने उसे अपने पास ले लिया. यह देख वन विभाग की टीम को राहत मिली.
मां की पीठ पर बैठ गई
बिछड़ा भालू दौड़ते हुए अपनी मां के पास पहुंचा और उसकी पीठ पर बैठ गया. दूसरा बच्चा भी मां की पीठ पर बैठा हुआ था. करीब आधे से पौने घंटे तक वन विभाग की टीम और मंदिर के पुजारी को मादा भालू नजर आई. उसका मूवमेंट कैमरे में कैद किया गया. इसके बाद उच्च अधिकारियों को वन विभाग की टीम ने सूचना देकर बताया कि नन्हे भालू को टीम ने मां से मिलवा दिया है, और वह सुरक्षित है.
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