
PKC Link Project: झुंझुनूं ज़िले के मंड्रेला में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने पीकेसी लिंक परियोजना को लेकर बड़ा ऐलान किया. पाटिल ने कहा कि केंद्र सरकार इस परियोजना के कुल खर्च का 90 फ़ीसदी वहन करेगी, जबकि राजस्थान और मध्य प्रदेश को मिलकर केवल 10 फ़ीसदी हिस्सा देना होगा. यह घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता वाले जल प्रोजेक्ट्स में एक और बड़ा कदम मानी जा रही है.
कुल 77 हज़ार करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च
मंत्री पाटिल ने बताया कि परियोजना पर कुल 77 हज़ार करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित है, जिसमें से दोनों राज्यों पर सिर्फ पाँच-पाँच फ़ीसदी का भार आएगा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की यह मदद राजस्थान के सूखे इलाकों में जल उपलब्धता सुनिश्चित करेगी और सिंचाई के नए अवसर खोलेगी. मंड्रेला की जनसभा में इस घोषणा के दौरान जनता ने मोदी सरकार के इस फैसले का जोरदार स्वागत किया.
''अब पहले से कहीं बड़े रूप में लागू की जाएगी''
पाटिल ने कहा कि पीकेसी लिंक परियोजना अब पहले से कहीं बड़े रूप में लागू की जाएगी, जिसमें राजस्थान और मध्य प्रदेश की कई नदियों को आपस में जोड़कर पानी का बेहतर वितरण होगा. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह परियोजना इंटरलिंकिंग ऑफ रिवर्स (ILR) योजना का हिस्सा है, जिसे केंद्र सरकार ने पहले से ही केंद्रीय परियोजना का दर्जा दे रखा है.
क्या है पीकेसी ?
पीकेसी यानी परबतसर-कटरा-चंबल लिंक परियोजना (पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का विस्तारित रूप) राजस्थान और मध्य प्रदेश के जल संकट को दूर करने के लिए बनाई गई एक मेगा योजना है. इस परियोजना के तहत नदियों को जोड़कर सूखे इलाकों तक पानी पहुंचाया जाएगा. यह राजस्थान के लिए जीवनरेखा साबित हो सकती है.
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