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This Article is From Mar 25, 2025

Jauhar Mela Chittorgarh 2025: जौहर मेले के आखिरी दिन चित्तौड़गढ़ आएंगे राजस्थान CM भजनलाल शर्मा, ये नेता भी रहेंगे साथ में मौजूद

Rajasthan CM Chittorgarh Visit: देश में चित्तौड़गढ़ ही ऐसी जगह है, जहां नारी स्वाभिमान की रक्षा के लिए एक नहीं बल्कि तीन बार जौहर हुए. इन्हीं वीर-वीरांगनाओं की याद में यहां घर साल जौहर मेला आयोजित किया जाता है.

Jauhar Mela Chittorgarh 2025: जौहर मेले के आखिरी दिन चित्तौड़गढ़ आएंगे राजस्थान CM भजनलाल शर्मा, ये नेता भी रहेंगे साथ में मौजूद
राजस्थान के सीएम आज केंद्रीय मंत्री शेखावत और यूडीएच मंत्री के साथ चित्तौड़गढ़ जाएंगे.

Rajasthan News: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में चल रहे जौहर मेले (Jauhar Mela) का आज आखिरी दिन है. मंगलवार को यहां जौहर श्रद्धाजंलि समारोह का आयोजन किया जाएगा. इस दौरान इंदिरा गांधी स्टेडियम से दुर्ग स्थित जौहर स्थल तक भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी. इसके बाद हवन और पूर्णाहुति होगी. आज के इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा समेत स्थानीय विधायक व जनप्रतिनिधि भी शिरकत करेंगे.

11 बजे चित्तौड़गढ़ पहुंचेंगे सीएम शर्मा

सीएम भजनलाल शर्मा का हेलीकॉप्टर 25 मार्च की सुबह 11:05 बजे दुर्ग स्थित चौगानिया पद्मिनी महल के पास हेलीपैड पर उतरेगा. वहां से सीएम जौहर स्थल पर जाएंगे और जौहर श्रद्धांजलि समारोह में शिरकत करेंगे. वीर-वीरांगनाओं की याद में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में सीएम करीब 2 घंटे 5 मिनट तक शामिल रहेंगे. इसके बाद वे वापस हेलीकॉप्टर में बैठकर राजधानी जयपुर के लिए रवाना हो जाएंगे.

किले की तलहटी में बना जौहर ज्योति मंदिर

देश में चित्तौड़गढ़ ही ऐसी जगह है, जहां नारी स्वाभिमान की रक्षा के लिए एक नहीं बल्कि तीन बार जौहर हुए. इन तीनों जौहर की स्मृति में करीब 8 साल पहले किले की तलहटी में एक मंदिर भी बनाया है. यह मंदिर जौहर भवन में मौजूद है, जिसे जौहर ज्योति मन्दिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में इन शाकाओं की अगुवाई करने वाली महारानी पद्मिनी, राजमाता कर्णावती और फूलकंवर मेड़तणी की मूर्तियां स्थापित हैं. इन वीरांगनाओं की अगुवाई में ही चित्तौड़गढ़ में तीन जौहर हुए थे.

कब और कैसे हुई जौहर मेले की शुरुआत

चित्तौड़गढ़ में जौहर मेले की शुरुआत 1948 में हवन के रूप में हुई थी, जिसे बाद में जौहर श्रद्धांजलि समारोह के रूप में जाना गया और 1986 में इसका नाम बदलकर जौहर मेला कर दिया गया. यहां जौहर मेले पर तीन दिन तक अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित होते हैं. बताया जाता है कि ओरड़ी के ठाकुर कल्याण सिंह के नेतृत्व गुरुकुल के सहयोग से पहली बार 1948 की चैत्र कृष्णा एकादशी पर यज्ञ किया गया, जो आज तक चल रहा है. वर्ष 1950 में जौहर स्मृति संस्थान की स्थापना हुई.

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