विज्ञापन

आर-पार की लड़ाई में उतरेंगे राजस्थान के किसान, सरकार को दी MSP के पक्ष फैसला करने की चेतावनी

किसानों का कहना है कि भजनलाल सरकार ने सत्ता में आने के लिए किसानों को धान की फसल पर MSP देने का वादा किया था लेकिन सरकार उसे वादे को पूरा नहीं कर रही है.

आर-पार की लड़ाई में उतरेंगे राजस्थान के किसान, सरकार को दी MSP के पक्ष फैसला करने की चेतावनी

Rajasthan Farmer Protest: राजस्थान के बूंदी में धान की फसल से जुड़े किसान धरने पर बैठ गए हैं. धरना बूंदी कृषि उपज मंडी के बाहर दिया जा रहा है. किसानों की मांग है कि धान की फसल पर MSP दी जाए साथ ही सोयाबीन के लिए सरकारी खरीद के शुरू किया हो ताकि किसानों को उचित दाम में मिल सके. मांगे नहीं मानने पर किसानों ने राजस्थान भर में आंदोलन की चेतावनी दी है. वहीं आंदोलन की जानकारी लगने पर प्रशासन भी अलर्ट हो गया है. किसान प्रतिनिधि मंडल से वार्ता करने पहुंचे तो जिला प्रशासन ने किसानों को मंगलवार का समय दिया है और उनकी मांगों पर विचार करने की बात कही है. जबकि किसानों ने कहा है कि प्रशासन ने एक दिन का वक्त दिया है. हमारे पक्ष में फैसला नहीं हुआ तो किसान आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे. 

किसानों का कहना है कि भजनलाल सरकार ने सत्ता में आने के लिए किसानों को धान की फसल पर MSP देने का वादा किया था लेकिन सरकार उसे वादे को पूरा नहीं कर रही है. किसानों ने कहा कि बूंदी मंडी में धान व सोयाबीन की फसल पर 1 हजार से लेकर 1500 रुपए तक का दाम फसलों पर कम दिया जा रहा है. 

मंडी सचिव करेंगे किसानों से बात

किसानों के धरने पर वार्ता करने के लिए मंडी सचिव हेमंत मीना भी किसानों के बीच पहुंचे. जहां एक प्रतिनिधिमंडल किसान, मंडी व्यापारी और मंडी समिति का बनाया गया. इस प्रतिनिधिमंडल की मंगलवार को दोपहर में एक बैठक आयोजित होगी जिसमें धान की फसल पर MSP दर तय करने के साथ ही सोयाबीन पर सरकारी खरीद केंद्र भी शुरू करने पर चर्चा होगी. किसानों के प्रतिनिधि गिरिराज गौतम ने कहा कि प्रशासन जैसा चाहे वैसे किसानों का सहयोग ले सकता है. किसान हित में प्रशासन का साथ देने को तैयार है लेकिन प्रशासन यदि किसनाओ की मांगों पर ध्यान नहीं देगा तो किसान मंडी में धान को लाना ही बंद कर देगा. 

Latest and Breaking News on NDTV

इस बार 82 हजार हेक्टेयर हुआ है धान

बूंदी जिले में 82 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में इस वर्ष धान की फसल हुई है. धान उत्पादक किसान ने बड़े जतन से धान की पैदावार की, लेकिन उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण आज धान उत्पादक किसान मायूस हैं. बूंदी जिले में ही 22 चावल फैक्ट्रियां हैं, जो वर्तमान गतिरोध के कारण संकट के दौर से गुजर रही है. पूरे साल में कोटा - बूंदी - बारां से एक साल में 1500 से अधिक चावल ईरान खरीदता है. अकेले बूंदी से ही 18 से 2 हजार करोड़ का चावल मार्केट में जाता था और 1000 करोड़ का चावल खुद ईरान खरीदता था. हाड़ौती में चावल का वार्षिक टर्नओवर 2 हजार करोड़ से ऊपर चला गया है. बूंदी में कुल उत्पादिक धान का 80 से 90 प्रतिशत देश व विदेश में भेजा जाता है. कृषि मंडी में विभिन्न धान की किस्मों के भाव की बात की जाए तो भाव इस प्रकार रहे. किस्म 1121-2 हजार 681 प्रति क्विंटल किस्म 1509, 2 हजार 261 रुपए प्रति क्विंटल, पूसा के 2 हजार 191 प्रति क्विंटल, सुगंधा 2 हजार 335 रुपए प्रति क्विंटल रहे है. इस बार 82 हजार हैक्टेयर में हुई फसल

चावल की मांग इराक, इरान, कुवैत समेत कई देशों में मांग

राजस्थान में सबसे ज्यादा चावल बूंदी में ही होता है बाकी अन्य जिलों में काफी कम मात्रा में चावल होता है. ऐसे में चावल की खरीद पर असर पड़ा तो भाव निचे जाते ही जा रहे है किसान परेशान है. पिछले साल बूंदी मंडी में धान का मूल्य 3500 प्रति क्विंटल था, जो वर्तमान में 26 से 2500 प्रति क्विंटल रह गया है.बूंदी मंडी में धान बेचने आए किसानों ने बताया कि अपनी उपज का पूरा मूल्य नहीं मिल रहा है. नतीजन किसान परेशान हैं. इस साल जब बूंदी मंडी में धान की आवक शुरू हुई थी तब मंडी में धान 3200 रुपए प्रति क्विंटल था, लेकिन अब यह घटकर 2600 रुपए प्रति क्विंटल रह गया है. बूंदी के बासमती चावल के स्वाद की दुनिया कायल है. यहां के चावल की इराक, इरान, कुवैत, ओमान, कतर सऊदी अरब संयुक्त अरब अमीरात आदि में काफी मांग है. इस साल धान की बुवाई में पिछले साल के मुकाबले 10 से 15 प्रतिशत ज्यादा लागत आई है. मौजूदा भावों में किसानों की लागत भी निकलना मुश्किल है. 

धान खेती से जुड़े हैं 60 हजार किसान

जिले में करीब 60 हजार किसान परिवार धान की खेती से जुड़े हैं. जिले में हर साल धान की रोपाई के लिए 5 हजार बिहारी मजदूर आते हैं. हर गांव में सौ-डेढ़ सौ मजदूर काम करते हैं. जिले में 90% धान की रोपाई बिहारी मजदूर ही करते हैं, 10 जून के बाद रोपाई शुरू हो जाती है. नर्सरी में धान की पौध मिलता है. एक महीने में पौध तैयार हो जाती है. पैदावार में चार माह लगते हैं. ज्यादातर किसान बारिश के साथ ही रोपाई करते हैं. नहरी एरिया तालेड़ा, केशवरायपाटन, बूंदी मुख्य धान उत्पादक इलाके हैं. इन्हीं इलाकों में पैदा होता है. प्रदेश में सबसे ज्यादा धान उत्पादन के कारण बूंदी को धान का कटोरा भी कहा जाता है. 

यह भी पढ़ेंः ​​​​​​​राजस्थान विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी-कांग्रेस के लिए चुनौती बनेंगे भूतपूर्व सैनिक, कर दिया यह बड़ा ऐलान

    Rajasthan.NDTV.in पर राजस्थान की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार, लाइफ़स्टाइल टिप्स हों, या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें, सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

    फॉलो करे:
    Previous Article
    Rajasthan Transfer List: राजस्थान में 99 डिप्टी SP स्तर के अफसरों का हुआ तबादला, देखें पूरी लिस्ट
    आर-पार की लड़ाई में उतरेंगे राजस्थान के किसान, सरकार को दी MSP के पक्ष फैसला करने की चेतावनी
    RSMSSB CET Admit Card 2024 How to download CET Secondary Level Exam admit card, see link and complete process here
    Next Article
    RSMSSB CET Admit Card 2024: कैसे करें CET Senior Secondary Level परीक्षा का एडमिट कार्ड डाउनलोड, यहां देखें लिंक और पूरा प्रोसेस
    Close