
Rajasthan High court comment on election commission: राजस्थान हाईकोर्ट ने नगर निकाय चुनाव मामले में एक बार फिर कड़ी टिप्पणी की है. जस्टिस अनूप कुमार की अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग निकायों के 5 साल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी मूकदर्शक बनकर नहीं बैठ सकता. अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 243 (U) के तहत नगर निकायों के चुनाव उनकी अवधि पूरी होने से पहले या फिर कार्यकाल खत्म होने से छह माह के भीतर कराना अनिवार्य है. साल 2021 में कुछ पंचायतों का नगरपालिकाओं में विलय होने के बाद से सरपंचों को संबंधित नगरपालिकाओं का चेयरमैन बनाया गया.
यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के विरूद्ध- कोर्ट
उनके पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्हें पद से हटा दिया गया और चेयरमैन का कार्यभार उपखंड अधिकारियों को प्रशासक के रूप में सौंप दिया गया. अदालत ने स्पष्ट किया कि नगरपालिकाओं के चेयरमैन को उनके कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रशासक बने रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती, यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के विरुद्ध है.
जनवरी-2025 में पूरा हो चुका है निकायों का कार्यकाल
हाईकोर्ट ने कहा कि नगर निकाय के चुनाव में देरी संविधान के अनुच्छेद 243-यू का उल्लंघन है. चुनाव टालने से न केवल स्थानीय स्तर पर शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित होती है, साथ ही विकास कार्य भी प्रभावित होते हैं. अदालत ने चिंता जताई कि राजस्थान में कई निकायों का कार्यकाल जनवरी 2025 में पूरा हो चुका है, लेकिन छह माह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद चुनाव नहीं कराए गए.
मुख्य सचिव और निर्वाचन आयोग को दिए निर्देश
इस पर कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, राज्य निर्वाचन आयोग और भारत निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि निर्वाचन आयोग और मुख्य सचिव इस मामले की जांच करें और संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप शीघ्र आवश्यक कदम उठाएं.