
Jhunjhunu News: बेटियों के सपनों को जब पंख लग जाते हैं तो वे मीलों आसमान की ऊंचाइयों को छूने का गौरव हासिल कर लेती हैं. ऐसा ही कारनामा झुंझुनूं के किसान सुभाष तेतरवाल की बेटी निहारिका तेतरवाल ने कर दिखाया है. निहारिका का हमेशा से मानना रहा है कि सीटें 27 हों या 2700...चाहे जितनी भी हों, हमें बस एक चाहिए. इसी जिद और खुद पर विश्वास के दम पर उन्होंने भारतीय सेना में सीट हासिल की और लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्ति पाई.
किसान पिता की लेफ्टिनेंट बेटी निहारिका तेतरवाल
निहारिका के पिता सुभाष तेतरवाल किसान और मां कमला देवी गृहिणी हैं, निहारिका शुरू से ही पढ़ाई में होशियार थी. वह हमेशा कहती हैं, झुंझुनूं वीरों की धरती रही है, अब बेटियां भी उस परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं. एनडीए परीक्षा में सफलता हासिल कर उन्होंने साबित कर दिया है कि सपनों को पंख देने के लिए संसाधनों की नहीं, दृढ़ संकल्प की जरूरत होती है.
भारतीय सेना में बनी लेफ्टिनेंट
नवलगढ़ के छोटे से गांव तेतरवालों की ढाणी की बेटी निहारिका तेतरवाल हाल ही में भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनी हैं. साधारण परिवार से आने वाली निहारिका सीमित संसाधनों में भी बड़े सपने देखती हैं.पैरा कमांडो (10) से रिटायर अपने ताउजी सुरेश तेतरवाल को सेना की वर्दी में देखकर उनके मन में भारतीय सेना में जाने का सपना जन्मा.इसके बाद उन्होंने बचपन से ही ठान लिया था कि एक दिन वह भी यही वर्दी पहनेंगी.
27 लड़कियों का हुआ था एनडीए में चयन
पहले एनडीए में महिलाओं की एंट्री नहीं होती थी, लेकिन 2022 से इसमें बदलाव किया गया. जिसके बाद हर साल लड़कियों को भारतीय सेना में शामिल किया जा रहा है. इस साल भी पूरे भारत से सिर्फ 27 लड़कियों का एनडीए में चयन हुआ है. जिसमें झुंझुनू जिले से निहारिका तेतरवाल और अक्षिता झाझड़िया का चयन हुआ है.
ऑपरेशन सिंदूर की लीडरशिप से हुई थी काफी प्रभावित
निहारिका ने बताया कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की तस्वीरें और रिपोर्ट देखीं, जिससे वह काफी प्रभावित हुईं. उन्होंने कहा कि जब उन्होंने देखा कि एक भारतीय महिला अधिकारी इस मिशन का नेतृत्व कर रही हैं, तो उन्होंने मन ही मन ठान लिया कि एक दिन वह भी ऐसे मिशन का हिस्सा बनेंगी. उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में अपनी भूमिका निभाने वाली लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी और व्योमिका सिंह को अपनी प्रेरणा बताया.