राजस्थान: कानून मंत्री जोगाराम पटेल के बेटे मनीष पटेल ने AAG पद से दिया इस्तीफा, विधानसभा में नियुक्ति पर उठे थे सवाल

AAG Manish Patel Resignation News: राजस्थान हाई कोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ता के पद से मनीष पटेल ने इस्तीफा दे दिया है. मनीष राजस्थान के कानून मंत्री जोगाराम पटेल के बेटे हैं. मनीष की नियुक्ति सवालों के घेरे में थी. कांग्रेस ने राजस्थान विधानसभा में भी इस मुद्दे को उठाया था.

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मनीष पटेल और जोगाराम पटेल (फाइल फोटो)

Rajasthan News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जोधपुर दौरे (PM Modi Jodhpur Visit) से ठीक एक दिन पहले राजस्थान के कानून मंत्री जोगाराम पटेल (Jogaram Patel) के बेटे मनीष पटेल (Manish Patel) ने राजस्थान हाई कोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) के पद से इस्तीफा दे दिया है. मनीष की पोस्टिंग पर कांग्रेस ने विधानसभा में सवाल उठाए थे. इसी मामले में सरकार से जवाब मांगने के दौरान गलत हरकत करने पर स्पीकर वासुदेव देवनानी (Vasudev Devnani) ने कांग्रेस विधायक मुकेश भाकर (Mukesh Bhakar) को 6 महीने के लिए सदन से निलंबित कर दिया था.

AAG मनीष पटेल ने अपने इस्तीफे में क्या लिखा?

मनीष पटेल ने अधिवक्ताओं के एक वॉट्सऐप ग्रुप में खुद एक मैसेज लिखकर इस्तीफा देने की पुष्टि की है. उन्होंने लिखा, 'मेरे प्रिय वरिष्ठजनों, सहकर्मियों और दोस्तों. मैं आप सभी को यह सूचित करने के लिए यह संदेश लिख रहा हूं कि आपके आशीर्वाद से मुझे राजस्थान उच्च न्यायालय, प्रिंसिपल सीट जोधपुर में अतिरिक्त महाधिवक्ता के पद पर नियुक्त किया गया है. हालांकि, मैंने पहले अपनी जयपुर यात्रा के दौरान राजस्थान के मुख्यमंत्री को लिखित रूप में अपना इस्तीफा दे दिया था, जिसमें मैंने अपनी व्यक्तिगत कठिनाइयों के कारण एएजी के रूप में आगे काम करने की अनिच्छा व्यक्त की थी. मैं सीएम भजनलाल के प्रति अपना हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने मुझे अपना आशीर्वाद दिया और एएजी के रूप में राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करने का अवसर प्रदान किया. मेरा त्यागपत्र स्वीकृति हेतु प्रक्रियाधीन है. मैं यह जानकारी आप सभी के साथ साझा करना चाहता था और अपनी आगे की यात्रा के लिए आपका आशीर्वाद और समर्थन चाहता था.

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AAG मनीष पटेल की नियुक्ति पर कांग्रेस के आरोप

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने लोक अभियोजकों की नियुक्ति का मुद्दा उठाते हुए 5 अगस्त को राजस्थान विधानसभा में कहा था कि, 'देश में CRPC 30 जून को समाप्त हो चुका है और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 1 जुलाई से लागू हो चुकी है. लेकिन राजस्थान सरकार के विधि सचिव द्वारा 12 जिलों में राजकीय अधिवक्ता नियुक्त किए गए हैं, जो CRPC की धारा 24 (2) के तहत किए गए हैं. जबकि यह नियुक्ति BNSS की धारा 18 के तहत की जानी चाहिए थी. इस पर सरकार का जवाब आना चाहिए था. संविधान के नियम 256 के तहत राज्य सरकार बाध्य है कि भारत सरकार के कानूनों का पालन करेगी.' जूली ने बिना किसी का नाम लिए आरोप लगाया कि एक मंत्री के बेटे को लोक अभियोजक नियुक्त किया गया है. 

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'योग्यता के आधार पर हुई मनीष पटेल की नियुक्ति'

इस पर सत्ता पक्ष के मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि व्यक्ति की नियुक्ति योग्यता के आधार पर हुई होगी और मंत्री का बेटा होना कोई अपराध नहीं है. अध्यक्ष देवनानी ने कहा कि यह मुद्दा सरकार के संज्ञान में आ गया है, लेकिन कांग्रेस विधायकों ने इस पर राज्य सरकार से जवाब की मांग की, लेकिन देवनानी ने नियमों का हवाला देकर इससे इनकार किया. इसको लेकर देवनानी व कांग्रेस विधायक आमने सामने आ गए. उस दिन विधानसभा में हंगामे के बाद संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल की प्रेस वार्ता करते हुए कांग्रेस के आरोपों पर जवाब दिया था. उन्होंने कहा था, 'विपक्ष ने जो आरोप लगाए हैं और जिन नियमों का हवाला दिया, उसकी कॉपी मेरे पास भी है. AAG की नियुक्ति मेरी वजह से नहीं, बल्कि काबिलियत की वजह से हुई है. विपक्ष ने बिना आधार के आरोप लगाए हैं. विपक्ष के सहयोगी दलों ने भी सक्रियता से सदन की कार्यवाही में भाग नहीं लिया.

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पीएम मोदी के दौरे से पहले ही इस्तीफा क्यों दिया?

सरकार की ओर से AAG मनीष पटेल की नियुक्ति को पूरी तरह नियमानुसार बताया गया था. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से पहले मनीष पटेल ने मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा सौंपा है. इसका पीछे एक वजह वकीलों के समूहों में चल रही चर्चा थी, जिसमें कुछ नाराज एडवोकेट मौका मिलने पर अपनी बात प्रधानमंत्री तक पहुंचाने की बात कर रह थे. संभावना यही जताई जा रही है कि इस बात की भनक लगने पर कानून मंत्री के बेटे मनीष पटेल ने राजकीय अतिरिक्त महाधिवक्ता पद से इस्तीफा दिया है.

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