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Rajasthan: 7 महीने पहले चुने गए विधायकों को MLA फंड का इंतजार, हर साल मिलते हैं 5 करोड़ रुपये

राजस्थान में हर एक विधायक को अपने इलाके में जनहित के कार्य करवाने के लिए हर साल पांच करोड़ का बजट मिलता है. विधानसभा के इस कार्यकाल के छह माह गुजर चुके हैं. विधायक अब इन्तेजार में हैं कि जल्द एमएलए फन्ड रिलीज हो और वे जनहित काम देखें.

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Rajasthan: 7 महीने पहले चुने गए विधायकों को MLA फंड का इंतजार, हर साल मिलते हैं 5 करोड़ रुपये
राजस्थान विधानसभा.

Rajasthan News: राजस्थान में विधानसभा चुनावों के बाद अब लोकसभा चुनाव भी सम्पन्न हो चुके हैं और केन्द्र और राज्य में सरकारें भी बन चुकी हैं. अब जनता अपने द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के पास काम लेकर पहुंचने लगी है. जनता को पूरा यकीन है कि अब शहर के विकास के कामों में कोई रुकावट नहीं आएगी. मगर सरकार की तरफ से विधायकों को हर साल मिलने वाली विधायक निधि (MLA Fund) अभी तक जारी नहीं हुई है, जबकि विधानसभा चुनाव सम्पन्न हुए 7 माह हो चुके हैं. विधायक निधि जारी नहीं होने से विधायकों के भी हाथ बंधे हैं और वे लोगों को बजट जारी होने का आश्वासन देकर संतुष्ट कर रहे हैं. 

अब निगम चुनावों की आचार संहिता

दरअसल, पहले फाइनेंशियल ईयर की समाप्ति और उसके बाद लोकसभा चुनाव आचार संहिता के कारण प्रदेश सरकार के हाथ बंध गए और विधायक निधि जारी नहीं हो सकी. दिसंबर में विधानसभा चुनाव हुए थे और अक्टूबर के पहले सप्ताह में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई थी. अब जून चल रहा है. अक्टूबर से जून तक तकरीबन 9 महीनों से एमएलए फन्ड बन्द पड़ा है. नए चुने गए विधायक भी फन्ड मिलने के इन्तेजार में हैं. नए फाइनेंशियल ईयर का भी तीसरा माह बीत रहा है और कुछ वक्त बाद में नगर निगम के चुनावों की भी आचार संहिता लगने वाली है. उससे भी शहर के विकास के काम प्रभावित होंगे. 

5 नए विधायकों के खाते अब तैयार

अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनावों को देखते हुए तत्कालीन विधायकों डॉ. बुलाकी दास कल्ला, सिद्धि कुमारी, बिहारी लाल बिश्नोई, सुमित गोदारा, गिरधारी लाल महिया, गोविन्द राम मेघवाल और भँवर सिंह भाटी ने अपने-अपने इलाकों में जम कर खर्च किया और अपने विधायक निधि के खाते शून्य पर ले आए. कई विधायकों जैसे सुमित गोदारा, बिहारी लाल बिश्नोई और भँवर सिंह भाटी ने तो इतना बजट रिकमंड कर दिया कि खाते में उतना पैसा ही नहीं बचा. विधायक निधि में बचा पैसा वापिस पाने वालों में सिर्फ सिध्दि कुमारी और सुमित गोदारा ही हैं जो फिर से चुनाव जीते हैं. बाक़ी पांच जगह नए लोग चुनकर आ गए हैं. इन पांचों नए विधायकों के खाते अब तैयार हो रहे हैं.

हर साल मिलते हैं 5 करोड़ रुपये

गौरतलब है कि राजस्थान में हर एक विधायक को अपने इलाके में जनहित के कार्य करवाने के लिए हर साल पांच करोड़ का बजट मिलता है. विधानसभा के इस कार्यकाल के छह माह गुजर चुके हैं. विधायक अब इन्तेजार में हैं कि जल्द एमएलए फन्ड रिलीज हो और वे जनहित काम देखें.

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