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Rajasthan: राजस्थान के 90 नगर निकायों में अध्यक्षों को छोड़नी पड़ेगी कुर्सी! पूरा नहीं होगा कार्यकाल, सामने आई वजह

Jhabar Singh Kharra: यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने झुंझुनू में इसे लेकर बयान दिया है, जिसके बाद स्थिति काफी हद तक साफ होती नजर आ रही है.

Rajasthan: राजस्थान के 90 नगर निकायों में अध्यक्षों को छोड़नी पड़ेगी कुर्सी! पूरा नहीं होगा कार्यकाल, सामने आई वजह

Rajasthan Politics: राजस्थान में 90 नगर निकाय अध्यक्ष को कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है. खास बात यह है कि अभी इनके कार्यकाल को पूरा होने में समय है. लेकिन सरकार की ओर से समय से संकेत दिए जा चुके हैं. यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने झुंझुनू में इसे लेकर बयान दिया है, जिसके बाद स्थिति काफी हद तक साफ होती नजर आ रही है. झुंझुनूं (Jhunjhunu) दौरे पर आए मंत्री ने 'वन स्टेट, वन इलेक्शन' (One State, One Election) की बात को दोहराते हुए कहा कि सरकार मन बना चुकी है.  इसी के चलते 90 निकाय बोर्ड को भंग किया जा सकता है. 

मंत्री बोले- कानून में है इसका प्रावधान

मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया, "कानून में प्रावधान है कि छह महीने पहले तक सरकार कार्यकाल समाप्त कर सकती है. हम 2025 में ही सभी निकायों के एक साथ चुनाव करवाएंगे. जबकि प्रदेश की 90 निकायों का कार्यकाल जनवरी 2026 में पूरा होगा. इसी के चलते पांच साल पहले ही 90 निकायों के बोर्ड को भंग किया जा सकता है. इसके लिए तैयारियां भी शुरू कर दी है."

सीकर, चूरू और झुंझुनूं के गांवों में पहुंचाएंगे यमुना का पानी- खर्रा

यूडीएच मंत्री ने हम सीमा वृद्धि, सीमा विस्तार और वार्डों के पुर्नगठन में किसी प्रकार की राजनैतिक दखलअंदाजी नहीं चाहते. इसलिए जिन निकायों में अध्यक्षों का कार्यकाल पूरा हो चुका है, वहां पर प्रशासनिक अधिकारियों को ही प्रशासक लगाया गया है. खर्रा ने बताया कि भजनलाल सरकार अपने इसी कार्यकाल में सीकर, चूरू और झुंझुनूं के गांव-गांव तक यमुना का पानी पहुंचाएगी. इसके लिए दो दिन पहले ही ज्वाइंट टास्क फोर्स का गठन किया गया है, जो सर्वे का काम पूरा करेगी. सर्वे के बाद डीपीआर बनाई जाएगी.

खर्रा ने बताया कि भजनलाल सरकार अपने इसी कार्यकाल में सीकर, चूरू और झुंझुनूं के गांव-गांव तक यमुना का पानी पहुंचाएगी.

नीमकाथाना जिला खत्म करने के सवाल पर भी बोले मंत्री

नीमकाथाना जिले को खत्म करने के सवाल पर कहा कि जनहित का निर्णय लेने से पहले आर्थिक स्थिति भी देखनी जरूरी होती है. इसे नजर अंदाज किया गया. एक जिले को विकसित करने के लिए 2 से 3 हजार करोड़ रूपए की आवश्यकता होती है. 

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