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कांग्रेस की आदिवासियों के बीच पकड़ मजबूत करने की कोशिश, राजस्थान में गणेश घोघरा सौंपी बड़ी जिम्मेदारी

Rajasthan Politics: कांग्रेस पार्टी ने आदिवासी समाज में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए बड़ा फैसला लिया है. पार्टी ने दो राज्यों में आदिवासी कांग्रेस विभाग के चेयरमैन की नियुक्ति की है.

कांग्रेस की आदिवासियों के बीच पकड़ मजबूत करने की कोशिश, राजस्थान में गणेश घोघरा सौंपी बड़ी जिम्मेदारी
राजस्थान में गणेश घोघरा सौंपी बड़ी जिम्मेदारी

Rajasthan Politics: राजस्थान कांग्रेस ने आदिवासी समाज (Rajasthan Adivasi Samaj) में अपनी जमीन और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है. कांग्रेस ने शनिवार को डूंगरपुर से विधायक गणेश घोघरा (Ganesh Ghogra) को राजस्थान आदिवासी कांग्रेस विभाग का चेयरमैन नियुक्त किया है. जानकारी के मुताबिक, यह नियुक्ति आगामी पंचायत, निकाय और विधानसभा चुनावों की दृष्टि से रणनीतिक फैसला है. गणेश घोघरा राजस्थान की राजनीति में युवा आदिवासी नेतृत्व का उभरता चेहरा हैं.

डूंगरपुर से दूसरी बार विधायक

घोघरा 2018 और 2023 दोनों बार डूंगरपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए. वे पहले राजस्थान युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष (2020–2023) रह चुके हैं और वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस के महासचिव और AICC सदस्य भी हैं. उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन NSUI से शुरू किया और जल्दी ही छात्र राजनीति से प्रदेश स्तर तक पहुंचे.

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कांग्रेस का 'मिशन वागड़' चल रहा

राजस्थान के वागड़ क्षेत्र (डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, उदयपुर ग्रामीण) में आदिवासी मतदाताओं पर पकड़ को फिर से मज़बूत करने के लिए कांग्रेस “मिशन वागड़” जैसे अभियानों पर काम कर रही है. घोघरा की नियुक्ति उसी कड़ी का हिस्सा है. पार्टी उन्हें संगठन, प्रशिक्षण, जनसंपर्क और आदिवासी हितों की वकालत जैसे मोर्चों पर सक्रिय भूमिका में देख रही है.

8 लीटर शराब घर में रखने की मांगी थी छूट

बता दें कि गणेश घोघरा पिछले साल जुलाई महीने में उस समय सुर्खियों में आए थे, जब सरकार से अनूठी मांग करते हुए उन्होंने आदिवासियों के लिए आठ लीटर शराब घर पर रखने की छूट देने की मांग की है. विधानसभा में डूंगरपुर से विधायक घोघरा ने कहा था कि एक तरफ़ राजस्थान सरकार ने अंग्रेज़ी शराब की बड़ी-बड़ी दुकानें खोल रखी है.

अमीर आदमी के लिए शराब उपलब्ध है, लेकिन आदिवासी बेल्ट में 1 या दो लीटर शराब भी किसी आदिवासी के पास मिल जाए तो पुलिस झूठा मुक़दमा बनाकर उसे पैसे वसूलती है. ऐसे में शादी-ब्याह, वार-त्योहार पर आदिवासियों को आठ लीटर महुए की शराब घर रखने की छूट दी जाए.

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