
Rajasthan News: राजस्थान के ब्यावर में बिजयनगर में स्कूली लड़कियों के साथ रेप और ब्लैककांड के आरोपी पूर्व पार्षद हकीम कुरैशी की जमानत याचिका खारिज हो गई है. अजमेर की पॉक्सो कोर्ट ने बुधवार को आरोपी कुरैशी की जमानत याचिका को खारिज किया है. कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि नाबालिग पीड़िता पर रोजा रखने, कलमा पढ़ने और आरोपियों के साथ जाने का दबाव बनाना गंभीर प्रकृति का अपराध है. कोर्ट ने यह भी माना कि कुरैशी ने पीड़िता को डराकर आरोपी सोहेल मंसूरी के साथ भेजने की साजिश रची थी.
इस्लाम अपनाने का बनाया दबाव
आरोपों के अनुसार, पूर्व पार्षद हकीम कुरैशी ने पीड़िता को कहा था कि 18 साल की होने पर सोहेल उसे भगा ले जाएगा और निकाह कर लेगा. साथ ही उस पर हिंदू धर्म छोड़ इस्लाम अपनाने का भी दबाव बनाया गया. सरकारी वकील प्रशांत यादव के अनुसार, इस मामले में पांच अन्य आरोपियों ने भी जमानत याचिकाएं दाखिल की हैं, जिनमें तीन नाबालिग व दो बालिग शामिल हैं.
अश्लील फोटो-वीडियो से ब्लैकमेल का आरोप
जिस पर अलग-अलग तारीखों में सुनवाई होगी. यह मामला 15 फरवरी को तब सामने आया, जब एक नाबालिग ने बिजयनगर थाने में शिकायत दर्ज कराई. बाद में दो और लड़कियों ने शिकायत की. आरोप था कि तीनों लड़कियों का यौन शोषण कर अश्लील फोटो-वीडियो बनाकर ब्लैकमेल किया गया. जबरन धर्मांतरण, रोजा रखने और कलमा पढ़ने के लिए मजबूर किया गया.
टैंपो ड्राइवर पर इस केस का मुख्य आरोपी
इस मामले में मुख्य आरोपी आशिक मंसूरी है, जो टैंपो ड्राइवर है. उसने एक छात्रा को पहले दोस्ती और फिर मोबाइल देकर फंसाया था. पुराने रिकॉर्ड के अनुसार, हकीम कुरैशी पर पहले भी युवतियों को बहला-फुसलाकर धर्मांतरण और फिजिकल रिलेशन के लिए प्रेरित करने के आरोप लगे थे.
वह अन्य आरोपियों को लड़कियां उपलब्ध कराने और खर्च उठाने में भी मदद करता था. पीड़ित परिवारों ने कोर्ट से सभी आरोपियों की जमानत का विरोध किया है और कहा है कि लगातार धमकियां मिल रही हैं. इसलिए, न्याय के हित में उन्हें रिहा न किया जाए.
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