राजस्थान हाईकोर्ट ने छात्रसंघ चुनाव मामले में हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि चुनाव एक लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन यह शिक्षा के अधिकार से ऊपर नहीं हो सकता. इसके अलावा कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी दिशा निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने कहा है कि कॉलेज में चुनाव संबंधी कार्य नहीं करवाए जाए. साथ ही चुनाव आयोग को दिशा-निर्देश भी दिए हैं. आज (19 दिसंबर) हाईकोर्ट में जस्टिस उमाशंकर व्यास की एकलपीठ ने फैसला सुनाया है. इससे पहले 14 नवंबर को सुनवाई करते हुए जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने फैसला सुरक्षित रखा था.
"चुनाव क्यों नहीं करवाने है, सरकार बताए"
इस फैसले के साथ ही सरकार को बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने अपने फैसले में राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि छात्रों के चुनाव के लिए नीति निर्धारित करे. एडवोकेट तुषार पंवार ने बताया कि कोर्ट ने कहा है कि एक कमेटी का गठन किया जाए.
कोर्ट ने निर्देश दिए कि 19 जनवरी 2026 को सभी महाविद्यालयों और विश्विद्यालयों की मीटिंग की जाए. इसमें आम सहमति के आधार पर अगले चुनाव के लिए गाइडलाइन निर्धारित करें और अगर चुनाव नहीं करवाने हैं तो इसलिए लिए तार्किक कारण भी दिए जाए.
सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने की पैरवी
याचिकाकर्ता जयराव, नीरज खींचड़ और अन्य की याचिकाओं पर कोर्ट ने सुनवाई की. मामले में न्यायमित्र डॉ. अभिनव शर्मा ने अदालत में अपना पक्ष रखा. वहीं, राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद और याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट शांतनु पारीक सहित एडवोकेट अनीष भदाला, तुषार पंवार ने पैरवी की.
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