Rajasthan: सुप्रीम कोर्ट ने भाया पर दर्ज 29 FIR रद्द करने की मांग को नकारा, राजस्थान सरकार को भी दिया नोटिस 

प्रमोद जैन भाया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राजस्थान हाईकोर्ट के 1 मई 2025 के उस आदेश को भी चुनौती दी थी, जिसमें उनकी सभी एफआईआर को एक करने या रद्द करने की मांग को खारिज कर दिया गया था.

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राजस्थान के पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया

Pramod Jain Bhaya: सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व कैबिनेट मंत्री और बारां से पूर्व विधायक प्रमोद जैन भाया द्वारा दायर याचिका पर राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया है. भाया ने याचिका में उनके खिलाफ विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज लगभग 29 FIR को एक ही FIR मर्ज या फिर रद्द करने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि वे राजस्थान सरकार द्वारा की जा रही जांच पर रोक नहीं लगाएंगे.

हालांकि, अदालत ने अगली सुनवाई तक भाया के खिलाफ किसी भी कठोर दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी गई है. साथ ही कोर्ट ने उन्हें सभी मामलों में जांच एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग करने का निर्देश दिया है. वहीं, अदालत ने राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.

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भाया की ओर से पेश हुए वकील रोहतगी 

भाया की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने तत्काल अंतरिम राहत की मांग करते हुए इन राजनीति से प्रेरित मामलों की जांच पर रोक लगाने का अनुरोध किया. उन्होंने तर्क दिया कि ये एफआईआर 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनावों के बाद कथित तौर पर भाया को उनकी चुनावी हार और सत्तारूढ़ दल से अलग होने के बाद परेशान करने के लिए दर्ज की गईं है. उन्होंने कहा कि ये एफआईआर अस्पष्ट, एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं और राजनीतिक रूप से जुड़े शिकायतकर्ताओं द्वारा बदला लेने के लिए दर्ज की गई हैं. 

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सरकार ने दी यह दलीलें 

राजस्थान राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे एडिशनल एडवोकेट जनरल शिव मंगल शर्मा ने दलील दी कि प्रत्येक एफआईआर अलग-अलग लेन-देन से संबंधित है जिसमें अलग-अलग तथ्य, शिकायतकर्ता और अपराध शामिल हैं, जिनमें अवैध खनन, जाली पट्टे जारी करने से लेकर वित्तीय हेराफेरी और विभिन्न सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से दस्तावेज़ों की जालसाजी तक शामिल हैं. 

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शर्मा ने तर्क दिया कि इन एफआईआर को एक साथ जोड़ना न तो कानूनी रूप से टिकाऊ है और न ही व्यावहारिक रूप से संभव है, खासकर जब ये कई पुलिस थानों में दर्ज की गई हैं, और कई मामलों में जाँच अंतिम चरण में है और मामलों की निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से जाँच की जा रही है.

हाई कोर्ट ने नहीं दी थी राहत 

प्रमोद जैन भाया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राजस्थान हाईकोर्ट के 1 मई 2025 के उस आदेश को भी चुनौती दी थी, जिसमें उनकी सभी एफआईआर को एक करने या रद्द करने की मांग को खारिज कर दिया गया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि भाया की मांगी गई राहत ''विरोधाभासी और कानूनी रूप से असंगत'' है, क्योंकि एफआईआर में अलग-अलग आरोप शामिल हैं और वे किसी एक समान लेन-देन से उत्पन्न नहीं हुए हैं. इसलिए “समानता की कसौटी” पूरी नहीं होती है, जो एफआईआर को एक साथ जोड़ने के लिए आवश्यक है.

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