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Rajasthan: लाल डायरी वाले राजेंद्र गुढ़ा का बड़ा दावा, बोले- 'दो हिस्सों में बंटा महेश जोशी का कमिशन, गहलोत भी थे साझेदार'

Rajasthan News: झुंझुनू में डीटीओ ऑफिस के बाहर डंपर मालिकों के धरने को संबोधित करते हुए गुढ़ा ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर बड़ा हमला बोला है.

Rajasthan: लाल डायरी वाले राजेंद्र गुढ़ा का बड़ा दावा, बोले- 'दो हिस्सों में बंटा महेश जोशी का कमिशन, गहलोत भी थे साझेदार'
Mahesh Joshi ( Left) Rajendra Gudha ( Mid) Ashok Gehlot ( Right)

Rajasthan politics: राजस्थान के पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर बड़ा हमला बोवा है. झुंझुनू में डीटीओ ऑफिस के बाहर डंपर मालिकों के धरने को संबोधित करते हुए गुढ़ा ने कहा कि भ्रष्टाचार का पैसा हड़पने वाला महेश जोशी अकेला नहीं है, बल्कि इसमें अशोक गहलोत की भी हिस्सेदारी है. उन्होंने दावा किया कि भ्रष्टाचार के पैसे के बंटवारे में गहलोत की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है.

भ्रष्ट और बेईमान लोगों पर कार्रवाई होती है

डंपर मालिकों के धरने को संबोधित करते हुए राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने कहा कि भ्रष्ट और बेईमान लोगों पर कार्रवाई होती है. इसमें देरी हो सकती है, लेकिन अन्याय नहीं होता. उन्होंने पूर्व  जलदाय मंत्री का नाम लेते हुए कहा कि महेश जोशी उनके साथ मंत्री रहे हैं. वे रिमांड पर थे और उनकी पत्नी का निधन हो गया. जिन्होंने खाया है, वे जरूर बाहर आएंगे.

 महेश जोशी के साथ अशोक गहलोत का भी हिस्सा 

उन्होंने आगे कहा कि महेश जोशी ने अकेले 960-90 करोड़ रुपए का गबन नहीं किया. इसमें अशोक गहलोत का भी हिस्सा था. उन्होंने कहा कि वे 10 साल तक दो बार अशोक गहलोत के साथ सरकार में रहे हैं. भ्रष्टाचार से पैसे का ढेर लग जाता था. जब उसका बंटवारा होता था तो सबसे बड़ा हिस्सा अशोक गहलोत लेते थे.

 ठेकेदारों से टेंडर राशि का महेश जोशी लेते  2-3 प्रतिशत

इसे कुछ दिन पहले इडी की जांच में सामने भी आया था कि पूर्व मंत्री जल जीवन मिशन ( JJM) के कुछ ठेकेदारों से टेंडर राशि का 2-3 प्रतिशत 'रिश्वत' के रूप में लेते थे.  जिसमें प्रवर्तन निदेशालय का आरोप है कि पूर्व मंत्री ने अपने करीबी सहयोगी संजय बदया के साथ मिलकर पद्मचंद जैन और महेश मित्तल जैसे ठेकेदारों से जेजेएम कार्यों से संबंधित निविदाएं देने और विभिन्न अनियमितताओं को छिपाने के लिए रिश्वत लेते थे.जिसमें वह  पक्ष लेने और विभिन्न अनियमितताओं को छिपाने के लिए इन ठेकेदारों से निविदा राशि का 2-3 प्रतिशत रिश्वत के रूप में ले रहे थे.

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