रावण को किया गया गोलियों से छलनी, 5000 साल पुरानी परंपरा को आज भी निभाते हैं लोग

राजस्थान के राजसमंद में दशहरे का पर्व अनोखे अंदाज में मनाया जाता है. जहां 5000 साल पुरानी परंपरा के तहत पत्थर के रावण पुतले को जलाने के बजाय गोलियों से छलनी किया जाता है.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins
राजसमंद में पत्थर के रावण पुतले को जलाने के बजाय गोलियों से छलनी किया जाता है.

Rajasthan Ravan Dahan: देश भर में रावण का दहन किया जा रहा है. जिसमें हर जगह की अपनी एक अलग परंपरा है, जिससे वहां के लोग रावण का दहन करते हैं. इसी बीच राजस्थान के राजसमंद जिले में दशहरे का पर्व एक अनोखे अंदाज में मनाया जाता है. जहां रावण को जलाया नहीं जाता, बल्कि उसे गोली मारी जाती है. यहां के गढबोर चारभुजा नाथ मंदिर में 5000 साल से भी अधिक पुरानी परंपरा निभाई जाती है.

साथ ही यहां पर और जगह की तरह पटाखों से भरा हुआ लकड़ी का पुतला नहीं जलाया जाता है. यहां पत्थरों से रावण का पुतला बनाया जाता है, जिसे बंदूक की गोली से छलनी किया जाता है. इस खास मौके पर मंदिर में दोपहर 4 बजे आरती होती है. इसके बाद ढोल-नगाड़ों की थाप के साथ ठाकुर जी की शोभायात्रा शुरू होती है. यह यात्रा कस्बे के इमली चौक बालाजी मंदिर पहुंचती है. 

शस्त्र पूजन के बाद रावण का अनोखा वध

इमली चौक में विधि-विधान से शस्त्र पूजन किया जाता है. इसके बाद सालिगराम जी के विग्रह स्वरूप को लेकर शोभायात्रा एक सुनसान स्थान पर जाती है. वहां पत्थरों से बने रावण के पुतले को मंदिर के सुरक्षाकर्मी बंदूक की गोलियों से छलनी करते हैं. रावण की नाभी में रखे कलश को गोली से फोड़ा जाता है. फिर स्थानीय युवा पत्थरों से पुतले पर हमला करते हैं. यह अनोखा रावण दहन देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.

वापसी में चारभुजा नाथ के दर्शन

रावण वध के बाद शोभायात्रा वापस मंदिर लौटती है. यहां चारभुजा नाथ के दर्शन खुलते हैं. भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है. यह परंपरा न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश भी देती है. 

Advertisement

लोगों में उत्साह और आकर्षण 

यह अनोखी परंपरा राजसमंद के लोगों के लिए गर्व का विषय है. हर साल बड़ी संख्या में लोग इस आयोजन का हिस्सा बनते हैं. यह दृश्य न केवल रोमांचक होता है, बल्कि सांस्कृतिक विरासत को भी जीवंत रखता है.

यह भी पढ़ें- राजस्थान समेत पूरे देश में रावण दहन का हुआ कार्यक्रम, देखें कहां कैसे जलाया गया