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Ranthambore: उधर बेटी कनकटी ने छोड़ा रणथंभौर, इधर मां बाघिन ने तोड़ा दम, लंबी बीमारी के बाद बाघिन टी-84 की मौत

Rajasthan: रणथंभौर की सबसे चर्चित बाघिन एरोहेड टी-84 की मौत को लेकर रणथंभौर में शोक की लहर है.

Ranthambore: उधर बेटी कनकटी ने छोड़ा रणथंभौर, इधर मां बाघिन ने तोड़ा दम, लंबी बीमारी के बाद बाघिन टी-84 की मौत

Ranthambore National Park: बाघों की अठखेलियों को लेकर प्रसिद्ध प्रदेश के सबसे बड़े रणथंभौर टाईगर रिजर्व से आज बेहद दुखद खबर सामने आई. रणथंभौर की सबसे चर्चित बाघिन एरोहेड टी-84 की मौत हो गई. बाघिन एरोहेड लंबे समय से ब्रेन ट्यूमर की बीमारी से जूझ रही थी और शारीरिक रुप से बेहद कमजोर हो गई थी. बाघिन की मौत की खबर उस वक्त आई, जब बाघिन की बेटी कनकटी की आज रणथंभौर से विदाई हो गई. बेटी की विदाई के साथ ही बाघिन एरिहेड ने भी दम तोड़ दिया. बाघिन की मौत को लेकर रणथंभौर में शोक की लहर है और वन्यजीव विशेषज्ञों सहित वन विभाग के कार्मिकों के चेहरे उदास नजर आए. 

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जोन नंबर-2 में पड़ा मिला बाघिन का शव

बाघिन का शव रणथंभौर के जोन नंबर-2 में पड़ा मिला. बाघिन एरोहेड रणथंभौर की सबसे चर्चित बाघिन थी. बाघिन की उम्र करीब साढ़े 11 साल थी. हालांकि बाघिन टी-84 एरोहेड ने कुछ दिन पहले ही अपनी नानी मछली के नक्शे कदम पर चलते हुए जोगी महल के पास पद्मला तालाब में एक मगरमच्छ का शिकार किया था. हालांकि कमजोरी के चलते जैसे-तैसे कर सर्वाइवर कर रही थी. लेकिन आज जैसे ही बेटी कनकटी की रणथंभौर से विदाई हुई, वैसे ही बाघिन एरोहेड की मौत की खबर भी सामने आ गई. 

10 शावकों को जन्म दे चुकी एरोहेड

बाघिन एरोहेड रणथंभौर के मुख्य जोन नम्बर 2, 3, 4 और 5 में विचरण करती थी. विशेष रूप से नाल घाटी व राजबाग झील के आसपास यह बाघिन रहती थी. यह बाघिन रणथंभौर की सुप्रसिद्ध बाघिन मछली की वंशबेल से ताल्लुक रखती थी. बाघिन अब तक चार बार शावकों को जन्म दे चुकी है. बाघिन एरोहेड 10 शावकों को जन्म दे चुकी थी. साल 2018 में बाघिन ने पहली बार 2 शावकों को जन्म दिया था, लेकिन वे जीवित नहीं रहे. उसके बाद बाघिन ने साल 2019 में फिर 2 मादा शावकों टी-124 रिद्धि और टी-125 सिद्धि को जन्म दिया. बाघिन ने 2021 में 3 शावकों को जन्म दिया. जो कुछ दिन बाद हो मारे गए या गायब हो गए. 

कनकटी को मुकुंदरा भेजा गया

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उसके बाद बाघिन एरोहेड एक बार फिर मां बनी और RBT-2507 कनकटी, RBT-2508 और RBT-2509 को जन्म दिया. हालांकि तीनों शावकों द्वारा विगत रणथंभौर आतंक मचाया गया और वे तीनों शावक रणथंभौर में दहशत का पर्याय बन गए. हाल ही के दिनों में रणथंभौर में इन्ही शावकों ने 3 लोगों को मौत के घाट उतार दिया. वन विभाग ने तीनों शावकों को रणथम्भौर से बाहर भेज दिया. नर शावक 2509 को कैलादेवी अभ्यारण, 2508 को रामगढ़ विषधारी अभ्यारण और आज ही मादा शावक कनकटी 2507 को कोटा के मुकुंदरा टाईगर रिजर्व भेजा गया था. 

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