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इस बाघिन के आतंक से रणथंभौर में त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग समेत 3 जोन फिर बंद, अब तक ले चुकी है 2 की जान

Rajasthan News: रणथंभौर नेशनल पार्क में पिछले एक महीने में 2 लोगों की मौत के चलते वन विभाग ने एक बार फिर 3 जोन के साथ त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग को बंद कर दिया है, क्योंकि इस मार्ग पर रहने वाली उस बाघिन का पता चल गया है .

इस बाघिन के आतंक से रणथंभौर में त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग समेत 3 जोन फिर बंद, अब तक ले चुकी है 2 की जान
प्रतीकात्मक तस्वीर

Ranthambhore National park: प्रदेश के सबसे बड़े रणथंभौर टाइगर रिजर्व में महज एक महीने में बाघ के हमले में दो लोगों की मौत हो गई. यह बात सामने आई है कि ये दोनों मौतें एक ही बाघिन के कारण हुई हैं. इन दोनों घटनाओं के बाद रणथंभौर वन प्रशासन ने एहतियात के तौर पर जोन नंबर दो और तीन को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया है. इसके साथ ही जो त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग खोला गया था, उसे भी श्रद्धालुओं के लिए फिर से बंद कर दिया गया. क्योंकि इस मार्ग और इसके आसपास के इलाकों में 17 से 18 बाघ, बाघिन और उनके शावकों का मूवमेंट रहता है. जिससे यहां हमेशा बड़े हादसे की आशंका बनी रहेगी.

 सरकार और विभाग अपने स्तर पर लेगी निर्णय

पिछले एक महीने में नेशनल पार्क में बाघ के हमले में हुई दूसरी मौत के बारे में फील्ड डायरेक्टर अनूप केआर का कहना है कि वनकर्मियों की जान हमेशा जोखिम में रहती है, लेकिन हमलावर बाघ की पहचान कर ली गई है, तथा उच्च अधिकारियों को इस बारे में अवगत करा दिया गया है. जल्द ही सरकार और विभाग अपने स्तर पर इस संबंध में कोई ठोस निर्णय ले सकते हैं.

वनकर्मियों पर अब तक हुए बाघों के हमलों की सूची

पहला, अगस्त 2005 में एसीएफ दौलत सिंह पर हमला हुआ था.

दूसरा, अक्टूबर 2012 सहायक वनपाल घीसू सिंह

तीसरा, मई 2015 में वनपाल रामपाल सैनी की ट्रेकिंग करते बाघ ने ली थी जान

चौथा, नवंबर 2021 में वनपाल विजय मेघवाल पर सुल्तानपुर वन क्षेत्र में हमला

पांचवा, फ़रवरी 2023 में बॉर्डर होमगार्ड मामराज पर हमला

छठा, 1 अप्रैल 2025 को वॉलंटियर रामलाल मीणा पर हमला

सातवां, 11 मई 2025 को रेंजर देवेंद्र चौधरी पर टाईगर का हमला

बाघिन कनकटी ने ली बच्चे और रेंजर की जान

16 अप्रैल को सात साल के बच्चे और फिर 11 मई को रेंजर देवेंद्र चौधरी को मारने वाली बाघन की पहचान बाघिन कनकटी के रूप में हुई है. यह रणथंभौर की बाघिन टी 84 एरोहेड की बेटी है. वन विभाग ने इस बाघिन को अभी तक कोई नंबर आवंटित नहीं किया है. जिसके कारण यहां के वनकर्मी और गाइड इसे इसी  नाम से ही पुकारते हैं.

बाघिन को बाड़े में भेजने की सलाह

बाघिन कनकटी के बारे में वन्यजीव विशेषज्ञ धर्मेंद्र खांडल का कहना है कि इस बाघिन को वन विभाग के जरिए किसी अन्य स्थान पर बाड़े में छोड़ा जाना चाहिए. अगर ऐसा नहीं किया जाता है और इसे किसी अन्य टाइगर रिजर्व में खुला छोड़ दिया जाता है तो वहां भी यही स्थिति बन सकती है, ऐसे में इसे बाड़े में छोड़ना ही सबसे अच्छा फैसला होगा. साथ ही सरकार और वन विभाग को जल्द ही यह फैसला लेने की जरूरत है.

 इन इलाकों में 17-18 बाघ-बाघिन और उनके शावक

रणथंभौर के त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग सहित जोगी महल और रणथंभौर किले के आसपास 17 से 18 बाघ और उनके शावकों का लगातार मूवमेंट रहता है. इनमें बाघिन एरोहेड टी 84 और उसके तीन शावक, बाघिन रिद्धि और उसके तीन शावक, बाघिन सुल्ताना और उसके तीन शावकों के अलावा तीन नर बाघ और अन्य बाघ शामिल हैं. ऐसे में त्रिनेत्र गणेश जाने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर लगातार खतरा बना हुआ है.

 20 सालों में करीब 40 लोग हो चुके है टाइगर हमले का शिकार

अगर रणथंभौर टाइगर रिजर्व की बात करें तो पिछले 20 सालों में बाघों के हमलों में करीब 40 लोगों की जान जा चुकी है. अगर वनकर्मियों पर बाघों के हमलों की बात करें तो पिछले 15 सालों में सात वनकर्मियों पर बाघों के हमले की घटनाएं हुई हैं, जिनमें तीन वनकर्मियों की मौत हो चुकी है.

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