Dussehra 2023 Muhurat: हर साल नवरात्रि पर्व के समापन के साथ ही बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में दशहरा पर्व मनाया जाता है. इस साल विजयादशमी पर्व मंगलवार 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल विजयादशमी पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि मनाई जाती है. यही कारण है कि इसे विजयादशमी भी कहा जाता है. ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल दशहरा पर्व पर दो शुभ योग भी बन रहे हैं.
दशहरा किस तारीख को है?
इस साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 23 अक्टूबर के दिन शाम को 5:44 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 24 अक्टूबर को दोपहर 3:14 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार दशहरा का त्योहार इस साल 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा. हर साल दशहरा का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. दशहरा के दिन भगवान राम ने रावण का वध कर युद्ध में जीत हासिल की थी. इस पर्व को असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में भी मनाया जाता है. दशहरा पर्व हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था, इसलिए भी शारदीय नवरात्र की दशमी तिथि को ये उत्सव मनाया जाता है. कई जगह पर इस दिन मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन भी किया जाता है.
दशहरे पर बन रहे शुभ योग
ज्योतिषाचार्य व्यास ने बताया कि इस बार दशहरा वृद्धि योग एवं रवि योग में मनाया जाएगा. इस साल दशहरा पर्व पर दो शुभ योग भी बन रहे हैं. इस दिन रवि योग सुबह 06:27 मिनट से दोपहर 03:38 मिनट तक रहेगा. इसके बाद शाम 6:38 मिनट से 25 अक्टूबर को सुबह 06:28 मिनट तक यह योग रहेगा. वहीं, दशहरा पर वृद्धि योग दोपहर 03:40 मिनट से शुरू होकर पूरी रात रहेगा. ज्योतिष के मुताबिक, रवि योग को काफी शुभ माना जाता है और इस समय में किसी भी शुभ कार्य करने से शुरुआत करने से सफलता मिलती है. दशहरे पर रवि योग के साथ-साथ वृद्धि योग भी निर्मित हो रहा है. वृद्धि योग की शुरुआत 24 अक्टूबर को दोपहर 3.40 बजे से होगी और यह योग 24 अक्टूबर की पूरी रात तक बना रहेगा. इस दौरान दशहरे की पूजा करने से इच्छा पूरी होगी.
शस्त्र पूजन मुहूर्त
देशभर में अलग-अलग जगह रावण दहन होता है और हर जगह की परंपराएं बिल्कुल अलग हैं। इस दिन शस्त्रों की पूजा भी की जाती है. कुण्डली विश्लेषक डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि दशहरा के दिन कई जगहों पर शस्त्र पूजा करने का भी विधान है. दशहरा के दिन शस्त्र पूजा विजय मुहूर्त में की जाती है. ऐसे में दशहरे के दिन यानी 24 अक्टूबर को शस्त्र पूजा का शुभ समय दोपहर 01:58 मिनट से दोपहर 02:43 मिनट तक रहेगा.
रावण दहन मुहूर्त
ज्योतिष के अनुसार, दशहरा के दिन लंकापति रावण और उसके भाई कुंभकर्ण और पुत्र मेघनाथ के पुतलों का दहन किया जाता है. पुतलों का दहन सही समय में किया जाए, तो ही शुभ माना जाता है. विजयदशमी के दिन यानी 24 अक्टूबर को पुतलों के दहन का शुभ मुहूर्त सूर्यास्त के समय शाम 05:43 मिनट से लेकर ढाई घंटे तक होगा.
मांगलिक कार्यों के लिए शुभ
ज्योतिष के अनुसार, दशहरा या विजयादशमी सर्वसिद्धिदायक तिथि मानी जाती है. इसलिए इस दिन सभी शुभ कार्य फलकारी माने जाते हैं. दशहरा के दिन बच्चों का अक्षर लेखन, घर या दुकान का निर्माण, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण, अन्नप्राशन, कर्ण छेदन, यज्ञोपवीत संस्कार और भूमि पूजन आदि कार्य शुभ माने गए हैं. विजयादशमी के दिन विवाह संस्कार को निषेध माना गया है.
पूजन विधि
दशहरे के दिन सुबह जल्दी उठकर, नहा-धोकर साफ कपड़े पहने और गेहूं या चूने से दशहरे की प्रतिमा बनाएं. गाय के गोबर से 9 गोले व 2 कटोरियां बनाकर, एक कटोरी में सिक्के और दूसरी कटोरी में रोली, चावल, जौ व फल रखें. अब प्रतिमा को केले, जौ, गुड़ और मूली अर्पित करें. यदि बहीखातों या शस्त्रों की पूजा कर रहे हैं तो उन पर भी ये सामग्री जरूर अर्पित करें. इसके बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा करें और गरीबों को भोजन कराएं. रावण दहन के बाद शमी वृक्ष की पत्ती अपने परिजनों को दें. अंत में अपने बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें.