Rajasthan News: राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने बुधवार को मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के 'सच्ची स्वतंत्रता' वाले बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बड़ा बयान दिया. टोंक विधायक पायलट ने कहा, 'भारत के जिन लाखों लोगों ने अपनी शहादत देकर अंग्रेजो को खदेड़ा था, उस 15 अगस्त 1947 की आजादी को अगर आप आजादी दिवस नहीं मानेंगे तो कब मानेंगे? देश की आजादी में सबका योगदान था. ऐसे में अलग-अलग धर्म-जाति की बात करना सही नहीं है.'
'भाजपा का देश की आजादी में योगदान नहीं'
कांग्रेस नेता ने दो टूक कहा, 'देश की आजादी के संग्राम में भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दलों को कोई योगदान नहीं था. वहीं कांग्रेस के पास स्वतंत्रता संग्राम के दौरान किए गए बलिदानों का इतिहास है. जिसने कुछ खोया नहीं, जिसने शहादत नहीं दी, जिसने अपने परिवार को नहीं खोया, जो जेलों में नहीं गए, वो इस देश की आजादी को समझ नहीं सकते. इसीलिए उनको आजादी के अलग-अलग दिन दिखाई देते हैं. देश को आजादी भारत के लोगों ने दिलाई थी. महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने दिलाई थी. लेकिन जब कोई व्यक्ति जेल नहीं गया या कोई बलिदान नहीं दिया तो वह समझ नहीं सकता कि स्वतंत्रता का मतलब क्या है.'
#WATCH | Delhi | On Rahul Gandhi's statement, Congress leader Sachin Pilot says, "...What does it mean that you (RSS Chief Mohan Bhagwat) don't consider 15th August, 1947 as the day of independence? The people of India and Congress under the leadership of Mahatma Gandhi fought… pic.twitter.com/zFMMYCJaTx
— ANI (@ANI) January 15, 2025
मोहन भागवत ने क्या कहा था?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) 13 जनवरी को मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में कहा था, 'अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन देश की सच्ची स्वतंत्रता प्रतिष्ठित हुई. उनके अनुसार, 15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजों से राजनीतिक स्वतंत्रता मिलने के बाद उस विशिष्ट दृष्टि की दिखाई राह के मुताबिक लिखित संविधान बनाया गया जो देश के ‘स्व' से निकलती है. लेकिन यह संविधान उस वक्त इस दृष्टि भाव के अनुसार नहीं चला. भगवान राम, कृष्ण और शिव के प्रस्तुत आदर्श और जीवन मूल्य ‘भारत के स्व' में शामिल हैं और ऐसी बात कतई नहीं है कि ये केवल उन्हीं लोगों के देवता हैं, जो उनकी पूजा करते हैं. आक्रांताओं ने देश के मंदिरों के विध्वंस इसलिए किए थे कि भारत का स्व मर जाए.
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