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This Article is From Nov 08, 2024

4000 KM का सफर तय कर मंगोलिया से जैसलमेर आये साकर फाल्कन, कैसे याद रखते हैं इतना लम्बा रास्ता ? 

Saker Falcon: सर्दी की दस्तक के साथ ही अब विदेशी पक्षियों का भी जैसलमेर पहुंचना शुरू हो गया है. उत्तरी व मध्य एशिया के साथ ही यूरोप में अत्यधिक ठंड होने के कारण यह पक्षी उड़ान भरकर भारत पहुंचते है. जिसके बाद जैसलमेर व फलोदी के पास खीचन इनका पसंदीदा स्थल है.

4000 KM का सफर तय कर मंगोलिया से जैसलमेर आये साकर फाल्कन, कैसे याद रखते हैं इतना लम्बा रास्ता ? 

Jaisalmer News: जैसलमेर की धरा पर ठंड की दस्तक के साथ ही विदेशी मेहमानों के प्रवास का सिलसिला शुरु हो गया है.जैसलमेर में इन दिनों अलसुबह व रात में गुलाबी ठंड का अहसास होने लगा है. इसी बीच विदेशी पर्यटकों के साथ विदेशी पक्षियों का भी रुख जैसलमेर की ओर देखने को मिल रहा है. इसी बीच जैसलमेर जिले के डेजर्ट नेशनल पार्क क्षेत्र में साकर फाल्कन बाज को देखा गया है,यह बाज मंगोलिया का राष्ट्रीय पक्षी है.

साकर फाल्कन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी फाल्कन प्रजाति में से एक है. यह बाज शिकार की खोज में 200 मील प्रति घंटे की रफ्तार तक पहुंच सकता है. जैसलमेर के पर्यावरण प्रेमी राधेश्याम पैमाणी व मूसा खान को यह पक्षी नजर आया है तो वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर राधेश्याम ने इसे अपने कैमरा की आँखों में कैद कर लिया.

सर्दी के साथ ही आना शुरु हुए पक्षी 

सर्दी की दस्तक के साथ ही अब विदेशी पक्षियों का भी जैसलमेर पहुंचना शुरू हो गया है. उत्तरी व मध्य एशिया के साथ ही यूरोप में अत्यधिक ठंड होने के कारण यह पक्षी उड़ान भरकर भारत पहुंचते है. जिसके बाद जैसलमेर व फलोदी के पास खीचन इनका पसंदीदा स्थल है. ऐसे में जैसलमेर में अच्छी बरसात होने के बाद तालाब पानी से लबालब भरे हुए है.  जिससे कुरजां, यूरेशियन रोलर, वेरियेबल व्हिटियर, रोजी स्टार्लिंग, स्पॉटेड पलाईकैचर और स्टेपी ईगल देखने को मिले हैं. वहीं पश्चिम एशिया से रूफस टेल्ड स्क्रब रोबिन भी पहुंच चुकी है.लेकिन साकर फालकन का दिखना अद्भुत है.

कैसे याद रखते हैं रास्ता ?

यह पक्षी यूरोप और एशिया से सर्दी के मौसम में अफ्रीका के दक्षिण इलाकों में जाते हैं. इसी यात्रा के दौरान ये रास्ते में भोजन के लिए रुकते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये तारों को देखकर, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र, सूर्य की स्थिति या फिर दिमाग के नक्शे से अपना प्रवास करते हैं. 

इस बार खूब बरसा जैसलमेर में पानी 

आपको बता दें कि इस साल हुए अच्छी बारिश के बाद तमाम जल स्त्रोत पानी से भरे हुए हैं और प्रवासी पक्षियों की अच्छी संख्या में आवक की उम्मीद पर्यावरण प्रेमियों जता रहे है. ताजा पानी में भरपूर मात्रा में उपलब्ध जलीय कीटों, उनके लार्वा और जलीय वनस्पतियों का सेवन कर पोषण प्राप्त करते हैं.

इन पक्षियों से खड़ीन व खेतों के किसानों को विशेष फायदा पहुंचता है. वहीं अन्य कई पक्षी कैर व बैर खाने के लिए आते हैं. कुछ वल्चर्स (गिद्द) शिकारी पक्षियों द्वारा शिकार किए गए जीव जंतु को खाने के लिए आते हैं, क्योंकि ये खुद शिकार नहीं करते हैं.

मार्च तक यहीं रहने के बाद वतन वापस जाते हैं पक्षी 

जैसलमेर में बरसात होने के बाद से ही विदेशी पक्षियों का जैसलमेर पहुंचने का सिलसिला शुरु हो जाता है. इसके बाद यहां की ठंड भी पक्षियों के लिए सामान्य होती है. जिससे वे मार्च तक यहीं रहने के बाद वतन वापसी की उड़ान भरते है. करीब छह माह के शीतकालीन प्रवास में ये पक्षी यहां हजारों की तादाद में एकत्रित होकर क्षेत्र को पर्यटक स्थल का रूप दे देते हैं. जिन तालाबों पर यह पक्षी बैठते है वहां का दृश्य तो मनमोहक होता ही है साथ ही सुकून का अहसास होता है.

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