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तीन दुर्लभ संयोग के साथ शुरू हो रही शारदीय नवरात्रि, जान लें अभिजित और घटस्थापना मुहूर्त और कैसे करें कलश स्थापना

शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के दिन दुर्लभ इंद्र योग का निर्माण हो रहा है. इस योग का संयोग दिन भर है.

तीन दुर्लभ संयोग के साथ शुरू हो रही शारदीय नवरात्रि, जान लें अभिजित और घटस्थापना मुहूर्त और कैसे करें कलश स्थापना

Navratri 2024: नवरात्रि का त्योहार इस साल 3 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. इस बार नवरात्रि 10 दिनों की होने वाली है. नवरात्री में लोग उपवास रखते हैं इसके करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है. साथ ही मनोवांछित फलों का योग बनता है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर - जोधपुर  के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि पहले दिन घटस्थापना पर 3 दुर्लभ एवं शुभ योग का निर्माण हो रहा है. इन योग में जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी. सबसे खास बात यह है कि नवमी की पूजा और विजयादशमी का पर्व भी एक ही दिन मनाया जायेगा. इस बार तृतीया तिथि में वृद्धि हुई है जो 5 और 6 अक्टूबर  को होगा.

नवरात्रि में मा दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है. जिसमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री माता का नाम शामिल है.

क्या है दुर्लभ संयोग 

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के दिन दुर्लभ इंद्र योग का निर्माण हो रहा है. इस योग का संयोग दिन भर है. जबकि समापन 4 अक्टूबर को सुबह 04:24 मिनट पर होगा. इसके साथ ही आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर हस्त नक्षत्र का संयोग दोपहर 03:22 मिनट तक है. इसके बाद चित्रा नक्षत्र का संयोग बनेगा.

कलश स्थापना शुभ मुहूर्त

घटस्थापना तिथि- 3 अक्टूबर 2024
घटस्थापना मुहूर्त- सुबह 06:24 मिनट से सुबह 08: 45  मिनट तक
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:52 मिनट से दोपहर 12:39 मिनट तक

कैसे करें कलश स्थापना

डॉ अनीष व्यास ने कलश स्थापना का तरीका बताते हुए कहा है कि नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें. मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं. कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं. अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं. लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें. अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं. फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें. इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं. अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें. फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें. अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें जिसमें आपने जौ बोएं हैं. कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है. आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं.

कलश स्थापना सामग्री 

मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें. इसके अलावा कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए.
 

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