भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव दूर करेगा 'सिद्धासन', जानें इसके फायदे

सिद्धासन रोजाना अभ्यास से पाचन और कई तरह के शारीरिक और मानसिक रोग जैसे दमा और मधुमेह में लाभ मिलता है. यह आसन कूल्हों, घुटनों और टखनों को स्ट्रेच करता है.

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सिद्धासन.

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हेल्दी डाइट और योगासन सेहत को संतुलित बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं, लेकिन हम अक्सर इस पर तब तक ध्यान नहीं देते, जब तक कोई स्वस्थ्य समस्या घेर नहीं लेती. ऐसे में सिद्धासन एक ऐसा योगासन है, जो मन शांत और एकाग्रता बढ़ाता है.

सिद्धासन प्राचीन ध्यान

सिद्धासन योग विज्ञान के सबसे महत्वपूर्ण और प्राचीन ध्यान लगाने वाले आसनों में से एक है. 'सिद्ध' का अर्थ है 'पूर्ण' या 'ज्ञानी'. यह एक ऐसी योग मुद्रा है जिसमें पैर की एड़ी को पेरिनियम और दूसरे पैर की एड़ी को जननांग के ऊपर रखकर रीढ़ सीधे रखते हुए ध्यान केंद्रित किया जाता है.

आयुष मंत्रालय के अनुसार, यह योगासन सिद्ध चिकित्सा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण योगिक अभ्यास क्रिया है, जो 'चित्ति' (पूर्णता) से जुड़ा है और मन को शांत करता है, जिससे शरीर की ऊर्जा (प्राण) को ऊपर की ओर निर्देशित करता है.

दंडासन की मुद्रा में बैठें 

इसे नियमित रूप से करने के लिए योगा मैट पर दंडासन की मुद्रा में बैठ जाएं. अब बाएं पैर को घुटने से मोड़कर एड़ी को पेरिनियम के बीच पर मजबूती से रखें. इसके बाद दाएं पैर को मोड़ें और इसकी एड़ी को बाएं पैर की एड़ी के ठीक ऊपर रखें. दाएं पैर की उंगलियों को बाएं पैर की जांघ और पिंडली के बीच के जोड़ में फंसा दें. अब रीढ़ की हड्डी, गर्दन और सिर को बिल्कुल सीधा रखें और अपनी आंखें बंद करके ध्यान केंद्रित करें.

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इसके नियमित अभ्यास से कई तरह के लाभ मिलते हैं. अगर किसी के घुटनों या कूल्हों में दर्द हो तो सावधानी से करें या कुर्सी का सहारा लें. गहरी सांस लेते समय या प्राणायाम के समय उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति सतर्क रहें.

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