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Rajasthan: 60 लाख रुपये और अनुकंपा नियुक्ति की शर्त पर सीकर के जवान का सैन्य सम्मान से हुआ अंतिम संस्कार, हिमाचल प्रदेश में थी तैनाती

GREF जवान सुल्तान सिंह का पार्थिव शव रविवार देर रात रींगस पुलिस थाने में पहुंचा. इसके बाद आज तिरंगा यात्रा के साथ पैतृक गांव पार्थिव शव लाया गया. जहां गार्ड ऑफ ऑनर के साथ जवान सुल्तान सिंह बाजिया को मौजूद लोगों ने अंतिम विदाई दी।

Rajasthan: 60 लाख रुपये और अनुकंपा नियुक्ति की शर्त पर सीकर के जवान का सैन्य सम्मान से हुआ अंतिम संस्कार, हिमाचल प्रदेश में थी तैनाती
सीकर के जवान का हुआ अंतिम संस्कार

Rajasthan News: भारतीय सेना के जनरल रिजर्व इंजीनियरिंग फोर्स में तैनात सीकर के लाखनी गांव निवासी जवान सुल्तान सिंह बाजिया का सोमवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया है. पहले तो परिजन सुल्तान सिंह को शहीद का दर्जा देने की मांग को लेकर पार्थिव शव लेने से इनकार कर दिया. करीब 7 घंटे तक सीकर सांसद अमराराम के साथ परिजन और ग्रामीणों ने पुलिस थाने के सामने धरना दिया. अंत में अधिकारियों द्वारा लिखित में आश्वासन भिजवाए जाने के बाद धरना समाप्त किया गया और तिरंगा रैली के साथ जवान की पार्थिव देह को पैतृक गांव लाखनी के लिए रवाना की गई.

60 लाख रुपये और आश्रित को सरकारी नौकरी

जवान के परिजन और ग्रामीण जवान को शहीद का दर्जा देने सहित परिलाभ और आश्रित को सरकारी नौकरी देने की मांग कर रहे थे. इस पर सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक को मांग पत्र भेजा गया तो उनकी तरफ से करीब 38 लाख रुपए के आर्थिक पैकेज का पत्र भेजा गया. हालांकि, इस पर परिजन सहमत नहीं हुए तो फिर से उच्च अधिकारियों को इस बारे में जानकारी दी गई. इसके बाद करीब 21 लाख रुपए की बढ़ोत्तरी के साथ करीब 60 लाख रुपए का आर्थिक परिलाभ और आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति का दूसरा पत्र भेजा गया.

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शहीद स्मारक बनवाने का आश्वासन

खंडेला विधायक सुभाष मील ने विधायक कोटे से शहीद स्मारक बनवाने का आश्वासन भी दिया. शहीद का दर्जा देने की बात को लेकर उच्च अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि कमेटी का गठन कर जांच के बाद निर्णय लिया जाएगा. प्रशासन और परिजनों के बीच सहमति बनने पर सैन्य सम्मान के साथ रींगस थाने से तिरंगा रैली निकाल कर पार्थिव देह को पैतृक गांव लाखनी लाया गया और श्मसान घाट पर 12 वर्षीय पुत्र शाहिल ने मुखाग्नि दी. इस दौरान ग्रामीणों की आंखें नम रहीं.

25 फरवरी को घर आने वाले थे सुल्तान सिंह

GREF जवान सुल्तान सिंह के भाई भंवर सिंह ने बताया कि 8 दिसंबर को ही भाई छुट्टी से वापस ड्यूटी पर गए थे.  29 दिसंबर को बेटे शाहिल के जन्मदिन पर परिजनों से बात की थी. बाजिया नवंबर महीने में ही अपने गांव छुट्टी पर आए थे और करीब 20 दिन पहले ही वापस ड्यूटी पर लौटे थे. ड्यूटी पर जाते समय परिवार को 25 फरवरी को वापस आने की बात भी कही थी. उससे पहले ही 3 जनवरी को हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में हिमस्खलन होने पर गाड़ी खाई में गिरने से उनकी मौत हो गई. 

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2012 में सुमन देवी से हुई थी शादी

रींगस इलाके के लाखानी गांव निवासी सुल्तान सिंह बाजिया 2009 में भारतीय सेना की जीआरईएफ में भर्ती हुए थे. उनकी नौकरी लगने के बाद साल 2012 में सुमन देवी के साथ शादी हुई थी, जिनके एक 12 वर्षीय बेटा साहिल है. इसके अलावा पिता हरफूल सिंह बाजिया कृषि का काम करते हैं और मां चावली देवी घरेलू महिला हैं. जवान का छोटा भाई भंवर सिंह प्राइवेट काम धंधा करता है. इसके अलावा एक छोटी बहन है, जिसकी शादी हो चुकी है.

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