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आसाराम को सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत, जारी रहेगी जमानत...पीड़िता की अपील खारिज

सुप्रीम कोर्ट में पीड़िता की ओर से अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने दलील दी कि आसाराम के खिलाफ गंभीर आरोप हैं और इस मामले में जमानत की शर्तों के उल्लंघन के बावजूद हाईकोर्ट ने राहत बढ़ाकर गलती की.

आसाराम को सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत, जारी रहेगी जमानत...पीड़िता की अपील खारिज
आसाराम को हाईकोर्ट ने उम्र और सेहत को देखते हुए जमानत दी है
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सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म मामले में आजीवन कैद की सजा प्राप्त आसाराम को राहत दी है. आसाराम को पिछले दिनों हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी. पीड़िता ने इसका विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में जमानत को रद्द किए जाने के लिए अपील की थी. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है जिसके बाद आसाराम की जमानत पर रिहाई जारी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ ने राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा मेडिकल आधार पर आसाराम को दी गई ज़मानत को बरकरार रखा है.

पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट में की थी फरियाद

सुप्रीम कोर्ट में पीड़िता की ओर से अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने दलील दी कि आसाराम के खिलाफ गंभीर आरोप हैं और इस मामले में जमानत की शर्तों के उल्लंघन के बावजूद हाईकोर्ट ने राहत बढ़ाकर गलती की. उन्होंने कहा कि मेडिकल ज़मानत के दौरान सार्वजनिक कार्यक्रम करने जैसी शर्तों के उल्लंघन पर भी हाईकोर्ट ने ध्यान नहीं दिया. यह भी कहा गया कि आसाराम ऐसी ‘वेजिटेटिव' मेडिकल स्थिति में नहीं हैं, जिसकी वजह से इतनी राहत उचित हो. लिहाजा इलाज के नाम पर उसकी जमानत पर रिहाई खत्म करनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद किया खारिज

राजस्थान सरकार की ओर से एएजी शिव मंगल शर्मा और अधिवक्ता सोनाली गौर ने भी पीड़िता की आपत्तियों का समर्थन किया और अपील लंबित रहने और शर्तों के उल्लंघन का मुद्दा उठाया. वहीं आसाराम की ओर से अधिवक्ता देवदत्त कामत उपस्थित हुए. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेगा.

राजस्थान हाईकोर्ट से 3 महीने में अपील निबटाने का आग्रह

सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही राजस्थान हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि वो शीघ्रता से सुनवाई पूरी कर आसाराम की अपील पर तीन महीने में निपटारा करे.

आसाराम को 15 अप्रैल 2018 को एक ट्रायल कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इसके विरुद्ध आसाराम ने 2018 में राजस्थान हाई कोर्ट में अपील की थी और यह याचिका पिछले सात सालों से विचाराधीन है.

हालांकि, हाई कोर्ट ने आसाराम की 86 साल की उम्र और सेहत को देखते हुए आसाराम की सजा को कुछ शर्तों के साथ अपील के अंतिम निस्तारण तक निलंबित कर दिया. हाईकोर्ट ने आसाराम को जमानत देते हुए शर्त लगाई कि आसाराम भारत नहीं छोड़ेंगे, हर छह महीने में मेडिकल रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे और उपचार के छह माह बाद संबंधित प्राधिकरण के सामने आत्मसमर्पण करेंगे.

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