जोधपुर-बालोतरा में 15 सालों से फैल रहे काले पानी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, निरीक्षण करने पहुंची जांच कमेटी

पश्चिमी राजस्थान की जोजरी, लूनी और बांडी नदियों में औद्योगिक कचरे से ग्रामीणों की जिंदगी संकट में है. सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता दिखाते हुए जांच कमेटी बनाई, जो प्रभावित इलाकों का दौरा कर रही है.

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काले पानी को देखने पहुंची कमेटी.

Rajasthan News: पश्चिमी राजस्थान की जोजरी लूनी और बांडी नदियों में फैलते औद्योगिक कचरे से ग्रामीणों का जीवन मुश्किल हो रहा है. पिछले 15 सालों से जोधपुर और बालोतरा इलाकों में फैक्टरियों का गंदा पानी इन नदियों में बहाया जा रहा है. इससे किसानों की खेती वाली जमीन बेकार हो रही है और साफ पानी के स्रोत दूषित हो चुके हैं. सरकार की उदासीनता से तंग आकर सुप्रीम कोर्ट ने अब कड़ा कदम उठाया है.

कोर्ट ने खुद लिया मामला हाथ में

नवंबर में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रमनाथ और संदीप मेहता की पीठ ने इस प्रदूषण को गंभीर पर्यावरण और स्वास्थ्य समस्या बताते हुए खुद संज्ञान लिया. कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की और राजस्थान हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस संगीत लोढ़ा की अगुवाई में एक मजबूत कमेटी बनाई.

इस कमेटी को मौके पर जाकर स्थिति देखने और 27 फरवरी तक पूरी रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया. रिपोर्ट के आधार पर आगे का निर्णय होगा.

कमेटी पहुंची गांवों में समझी दर्द

कमेटी के प्रमुख जस्टिस संगीत लोढ़ा ने दो दिन बालोतरा के औद्योगिक इलाके और डोली अराबा कल्याणपुर जैसे गांवों का दौरा किया. उन्होंने जोजरी नदी के दूषित पानी से प्रभावित जगहों को देखा और बात की.

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ग्रामीणों ने बताया कि गंदे पानी से खेतों की मिट्टी खराब हो गई है फसलें उग नहीं पा रही हैं और पशु अक्सर बीमार पड़ रहे हैं. हैंडपंप और कुओं का पानी पीने योग्य नहीं रहा जिससे लोगों को दूर से पानी लाना पड़ता है.

औद्योगिक इलाकों और नदियों की जांच

दूसरे दिन कमेटी ने बालोतरा के फैक्टरी क्षेत्र और लूनी नदी का मुआयना किया. यहां कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) की कामकाज देखा और प्रदूषण रोकने के उपायों की समीक्षा की.

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जस्टिस लोढ़ा ने साफ चेतावनी दी कि किसी भी कीमत पर नदियों में गंदा पानी नहीं बहना चाहिए और इसके लिए ठोस इंतजाम होने चाहिए. कमेटी ने बालोतरा नगर परिषद के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और खेड़ गांव के स्लज डिस्पोजल प्लांट को भी जांचा. स्थानीय लोगों से उनकी परेशानियां सुनीं और नोट कीं.

रिपोर्ट से उम्मीद की किरण

कमेटी अब दौरा करेगी और फैक्टरियों की हालत पर आधारित रिपोर्ट बनाएगी जो 27 फरवरी तक सुप्रीम कोर्ट में जमा होगी. कोर्ट इससे आगे की सख्त कार्रवाई तय करेगा. यह प्रदूषण न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है बल्कि हजारों ग्रामीणों की जिंदगी और रोजी-रोटी पर असर डाल रहा है.

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