बीजेपी के अंता से निलंबित और सजायाफ्ता विधायक कंवरलाल मीणा ने राजभवन का दरवाजा खटखटाया है. दया याचिका राज्यपाल के सामने पेश होने के बाद सियासत गरमा गई है. कांग्रेस के हमला बोले के बाद यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बयान दिया है. यूडीएच मंत्री खर्रा ने आज कोटा दौरे कहा कि राज्यपाल के यहां दया याचिका लगाना असंवैधानिक नहीं है. राज्यपाल और राष्ट्रपति के यहां दया याचिका लगाने का सभी को अधिकार प्राप्त है अब देखना होगा कि राज्यपाल इस मामले में विधिक राय के बाद क्या फैसला लेते हैं.
3 साल की सजा होने के बाद चली गई विधायकी
कंवरलाल मीणा को हाल ही में 3 साल की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद उनकी विधायकी भी चली गई. अब विधायक कंवरलाल मीणा की ओर से राज्यपाल के समक्ष दया क्षमा याचिका लगाई गई है. खर्रा ने कोटा में विकास के प्रोजेक्टस सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर अधिकारियों की बैठक ली. इस दौरान विधायक संदीप शर्मा और कल्पना देवी प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे.
यह एक संवैधानिक प्रक्रिया- जोगाराम पटेल
विधि मंत्री जोगाराम पटेल ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी. जोधपुर दौरे के दौरान सर्किट हाउस में कहा कि यह एक संवैधानिक प्रक्रिया हैं और प्रत्येक व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है कि वह महामहिम के समक्ष अपने मामले में क्षमा प्रार्थना पेश कर सके. उन्होंने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था के तहत कोई भी सजा प्राप्त व्यक्ति राज्यपाल के समक्ष अपनी याचिका प्रस्तुत कर सकता है. राज्यपाल कानूनी प्रावधानों के तहत उसकी समीक्षा करते हैं और कोई समाधान देने योग्य पाया जाता है तो उसको समाधान देते हैं.
मंत्री बोले- सजा माफ हो जाएगी तो विधायकी लौट आएगी
उन्होंने कहा, "कंवरलाल मीणा के केस में राज्यपाल कानूनी प्रक्रियाओं को परखने के बाद कानूनी प्रावधानों को परखा जाएगा. अगर पाएंगे कि इस व्यक्ति को इस सजा से समाधान दिया जाना ठीक है, न्याय संगत है तो वह सजा को माफ कर देंगे. अगर उनकी सजा माफ हो जाएगी तो उनकी विधायकी की वापस लौट आएगी और राज्यपाल दूसरा फैसला लेते हैं तो आज जो स्थिति है, वही कायम रहेगी."
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