
Rajasthan News: 'अशोक गहलोत साहब! अगर आरोप सही नहीं थे तो आपने एक सम्मानजनक प्रतिनिधि के लिए खिलाफ बयान देकर, उनकी छवि धूमिल करने की कोशिश क्यों की? जब आपको पता लगा है कि आपका आरोप पूर्ण रूप से बे-बुनियादी और आधारहीन था, जब आप केस से बचने के लिए इधर-उधर की गलियां ढूंढ रहे हो. केस वापस लेना है या नहीं, यह संवैधानिक अधिकार सिर्फ गजेंद्र सिंह शेखावत का है. किसी भी जनप्रतिनिधि पर बिना ठोस आधार के, सिर्फ राजनीतिक द्वेषता में, आरोप लगाना बहुत ही गलत काम है. ये पूर्ण रूप से निंदनीय है.' यह बयान राजस्थान सरकार के विधि मंत्री जोगाराम पटेल ने शुक्रवार दोपहर जोधपुर प्रवास के दौरान सर्किट हाउस में दिया है.
कागजों में आरोप नहीं
पटेल ने आगे कहा, 'गजेंद्र सिंह शेखावत या उनके परिवार का कोई भी व्यक्ति कागजों में आरोपी नहीं था, ना ही आरोप प्रमाणित थे, फिर भी अशोक गहलोत ने आरोप लगाए, जो उनका अधिकार भी नहीं था. अब इतने सालों बाद सच्चाई सामने आई है तो बचने के लिए कहा रहे हैं कि फाइल में नाम देखकर आरोप लगाए. लेकिन जांच में ऐसी कोई बात नहीं आई. वो मात्र गजेंद्र सिंह शेखावत की छवि को धूमिल करने का प्रयास था. अब वो बचने के लिए समझौते की सलाह दे रहे हैं.'
फोन टैपिंग पर बयान
इस मौके पर जोगाराम पटेल ने गहलोत सरकार में हुए फोन टैपिंग का मुद्दा भी छेड़ा. उन्होंने कहा, 'अशोक गहलोत ने कहा था कि कोई फोन टैपिंग उनके राजकाल के दौरान नहीं हुई. लेकिन 5 साल तक उनके OSD रहे लोकेश शर्मा का कहना है कि उन्होंने अशोक गहलोत के कहने पर फोन टैप कराए थे. दिल्ली में विचाराधीन प्रकरण में वह सरकारी गवाह बने. पता चला कि उनके जितने भी स्टेटमेंट थे, वह गलत है. इसीलिए वे बचते नजर आए. ऐसा ही अब शेखावत वाले केस में हो रहा है.'
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