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Rajasthan: हरिया परंपरा से घड़ा फोड़कर निकाला गया बारिश का गणित, जानिए कैसा रहेगा 2026 का मानसून ?

प्रदेश के आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में रक्षाबंधन पर्व पर भीलूड़ा में आयोजित पारंपरिक हरिया मेले में आदिवासियों सहित ग्रामीणों ने उत्साहपूर्वक सदियों पुरानी इस परंपरा का निर्वहन किया जाता है.

Rajasthan: हरिया परंपरा से घड़ा फोड़कर निकाला गया बारिश का गणित, जानिए कैसा रहेगा 2026 का मानसून ?
परम्परा निभाते लोग

Hariya tradition of Bhiluda: डूंगरपुर जिले के भीलूड़ा गांव में बारिश की भविष्यवाणी को लेकर सदियों से चली आ रही अनूठी हरिया परंपरा का निर्वहन करते हुए आगामी वर्ष के वर्षा योग का पूर्वानुमान लगाया गया है. परंपरा के तहत आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद और अश्विन, इन चार महीनों के नाम पानी से भरे मिट्टी के घड़ों पर लिखकर लकड़ी के बने टी आकार के हरिया पर फोड़कर मानसून का आंकलन किया जाता है. इस परंपरा को देखने और बारिश की भविष्यवाणी सुनने के लिए ग्रामीणों और आदिवासियों की बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ती है.

प्रदेश के आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में रक्षाबंधन पर्व पर भीलूड़ा में आयोजित पारंपरिक हरिया मेले में आदिवासियों सहित ग्रामीणों ने उत्साहपूर्वक सदियों पुरानी इस परंपरा का निर्वहन किया जाता है. मेले में हरिया रस्म की शुरुआत रघुनाथ मंदिर और लक्ष्मीनारायण मंदिर में पूजा-अर्चना से हुई. इसके बाद अंग्रेजी वर्णमाला के टी आकार की लकड़ी हरिया की पूजा कर उसे रघुनाथजी मंदिर परिसर में गाड़ा गया.

हरिया की पूजा के बाद युवतियों ने उस पर रक्षासूत्र बांधा

रघुनाथ मंदिर चौक में गाड़े गए लकड़ी के टी आकार के खुंटे हरिया की पूजा के बाद युवतियों ने उस पर रक्षासूत्र बांधा. इसके बाद बारिश की भविष्यवाणी की मुख्य रस्म शुरू हुई, जिसमें अलग-अलग समाजों के चार प्रतिनिधि तालाब से पानी भरकर मिट्टी के कलश लाए. इन कलशों पर वर्षा ऋतु के चार महीनों, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद और अश्विन के नाम लिखे गए थे.

जितने अक्षर टूटे हुए होते हैं, उतने दिन वर्षा का योग माना जाता है

कलशों को हरिया की लकड़ी पर फोड़ा गया और उनके टुकड़ों को इकट्ठा कर जांचा गया कि कलश पर लिखे महीनों के नामों के कितने अक्षर सुरक्षित हैं और कितने टूट चुके हैं. प्रत्येक अक्षर को 10 दिन का मानकर देखा गया कि आगामी वर्ष में किस माह में कितने दिन वर्षा होगी. जितने अक्षर टूटे हुए होते हैं, उतने दिन वर्षा का योग माना जाता है.

क्या रहा अनुमान ? 

परंपरा के अनुसार इस वर्ष के आंकलन में पाया गया कि आषाढ़ में 20 दिन सूखा और 10 दिन वर्षा होगी. श्रावण में 10 दिन वर्षा और 20 दिन सूखा, भाद्रपद में 5 दिन वर्षा और 25 दिन सूखा, जबकि अश्विन माह में भी 5 दिन वर्षा और शेष 25 दिन सूखे की संभावना जताई गई. इस प्रकार, परंपरागत गणना के आधार पर अगले वर्ष मिला-जुला मानसून रहने का अनुमान लगाया गया.

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