राजस्थान में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसको लेकर बीजेपी और कांग्रेस लगातार हर वर्ग को साधने की कोशिश कर रही है. सोमवार को राजधानी में करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी की पुण्यतिथि पर राजपूत समाज के द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें भाजपा व कांग्रेस दोनों ही नेताओं ने हिस्सा लिया. माना जा रहा है दोनों दल राजपूत वोटर्स पर निगाह है. राजस्थान में करीब 11 फीसदी राजपूत हैं.
गौरतलब है वर्ष 2018 में राजपूत समाज की नाराजगी के चलते राजपूत समाज ने बीजेपी के खिलाफ वोट किया था, जिससे प्रदेश में बीजेपी की हार हुई थी और सीएम अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब हुई थी, लेकिन इस चुनाव में बीजेपी हार से सबक लेते हुए 11 फीसदी राजपूत वोटरों को अपने पक्ष में लाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहेगी. यही वजह है कि करणी सेना के संस्थापक की पुण्यतिथि में बीजेपी प्रतिपक्ष नेता राजेंद्र राठौड़, सतीश पूनिया, बीजेपी अध्यक्ष सीपी जोशी और राजपाल सिंह समेत कई बीजेपी और राजपूत समाज के लोग शमिल हुए.
मीडिया से बातचीत में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि राजपूत हमारा प्रमुख वोटर है. राजपूत समाज क्षेत्रीय समाज पिछली बार भी बीजेपी के साथ था और इस बार भी वह भाजपा मजबूती से साथ होगा. विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी राजपूत समाज को लेकर कोई चूक नहीं करना चाहती हैं.
दरअसल, राजपूत समाज लगातार लीडरशिप को लेकर मांग करता आया है. पिछली बार आनंदपाल और पद्मावत प्रकरण में राजपूतों की नाराजगी के कारण राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था. हाल ही में भैरो सिंह शेखावत के गांव खाचारियावास में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत समेत कई बीजेपी नेता आए थे. लोकेंद्र सिंह कालवी के बेटे भवानी सिंह कालवी ने इस बार चुनाव लड़ने की तैयारी की है.
इस कार्यक्रम के दौरान लोकेंद्र सिंह कालवी के बेटे भवानी सिंह कालवी ने कहा, मुझे राजनीति के अंदर या इसके अंदर आना है. लेकिन पिछले 12 दिनों के अपने अंदर जो भाव और जुड़ाव जो मैंने महसूस किया, उसके हिसाब से मैंने मेरी जो पोलो 25 साल से पोलो प्रोफेशनल खेल रहा हूं. वो चीज को बहुत बात है. मैं उसके लिए सब कुछ त्यागने को तैयार हूं. उन्होंने आगे कहा, मैं कालवी साहब के पीछे खड़े समाज की उम्मीद पर खरा उतरने के लिए उनके साथ मजबूती से खड़ा रहूंगा.
बकौल भवानी सिंह कालवी, ऊपर वाले लीडर्स सब बहुत होशियार लोग हैं उनको सारी चीजें पता है तो वह सब चीजों का समीकरण निकाल सकते हैं कि कहां पर समीकरण किस पार्टी को, किस सीट पर और किन लोगों को फायदा होगा, उसी के आधार पर पार्टी खुद का अपना निर्णय ले सकती है.
गौरतलब है राजस्थान में राजपूत समाज भाजपा का सबसे मजबूत मतदाता रहा है. जब पार्टी गांव और गलियों के अंदर दरी बिछाने के लिए संघर्ष कर रही थी, तो सबसे पहले अगर दरी बिछाने का काम किसी समाज और व्यक्ति ने किया तो वो राजपूत समाज ने किया था. सबसे पहले अपने राजवाड़े का दान अगर किसी ने दिया तो वह राजपूत समाज ने किया.
अपना हक चाहता है राजपूत समाज
पिछले चुनाव में राजपूत समाज ने भाजपा का नेतृत्व कर रहीं पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया के खिलाफ हो गई थी और उसने 'कमल का फूल, हमारी भूल' का नारा बुलंद किया था, जिसका नतीजा सबको पता है. भाजपा को अपना खून-पसीना देने वाला राजपूत समाज अपना हक चाहता है, अगर मिलता है तो वह भाजपा के साथ तन मन धन से साथ खड़ी नजर आएगी, अगर हक नहीं मिला तो एक बार फिर राजूपत समाज 'कमल का फूल, हमारी भूल' बोलने में देरी नहीं करेगा.